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बड़ा प्रशासनिक घटनाक्रम | विस्थापितों की दशकों पुरानी पीड़ा पर शासन की नज़र

बड़ा प्रशासनिक घटनाक्रम | विस्थापितों की दशकों पुरानी पीड़ा पर शासन की नज़र

धामपुर–नगीना के विस्थापितों को “भौमिक अधिकार” मिलने की आस — प्रमुख सचिव राजस्व रणवीर प्रसाद ने किया जमीनी मुआयना, दिए सर्वे के निर्देश

रातभर चली समीक्षा बैठक, सुबह गांवों में पहुंचे प्रमुख सचिव — बोले, “अब कोई भी विस्थापित अपने हक़ से वंचित नहीं रहेगा”

📍बिजनौर, 07 नवंबर 2025।
बिजनौर जनपद में दशकों से जमीन के स्वामित्व अधिकार से वंचित रह रहे विस्थापितों के लिए आखिरकार उम्मीद की किरण दिखाई दी है। शासन ने अब इस पुरानी और संवेदनशील समस्या पर ठोस पहल शुरू कर दी है।
राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव रणवीर प्रसाद ने गुरुवार देर रात बिजनौर पहुंचकर धामपुर और नगीना तहसीलों के अधिकारियों के साथ लंबी समीक्षा बैठक की और शुक्रवार सुबह स्वयं गांवों में जाकर विस्थापितों की हकीकत जानी।

रातभर चली समीक्षा बैठक – रिकॉर्ड खंगाले गए, अधिकारियों से ली रिपोर्ट

सूत्रों के अनुसार, प्रमुख सचिव का यह दौरा पूरी तरह से फील्ड-एक्शन केंद्रित रहा।
उन्होंने रात में जिला मुख्यालय पर धामपुर और नगीना तहसीलों के राजस्व अधिकारियों, तहसीलदारों, लेखपालों और संबंधित विभागों के अफसरों के साथ मैराथन मीटिंग की।
बैठक में विस्थापितों से जुड़ी फाइलें, जमीन के अभिलेख, रजिस्टर और पुराने सर्वे रिकॉर्ड का बारीकी से अवलोकन किया गया।

सूत्र बताते हैं कि प्रमुख सचिव ने सख्त लहजे में कहा —

“विस्थापितों की समस्या को टालने का दौर अब खत्म हुआ। जो वाकई पात्र हैं, उन्हें भौमिक अधिकार हर हाल में मिलेंगे।”

मदपूरी में जमीनी हकीकत जानी – ग्रामीणों की पीड़ा सुन भावुक हुए अधिकारी

अगले दिन सुबह प्रमुख सचिव राजस्व रणवीर प्रसाद मदपूरी ग्राम पहुंचे, जहां उनके साथ राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, एसडीएम और तहसील प्रशासन की टीम भी मौजूद रही।
ग्राम मदपूरी और आसपास के प्रभावित गांवों के लोगों ने अपने विस्थापन की कहानी प्रमुख सचिव को सुनाई।

एक वृद्ध महिला ने कहा —

“हमारे पुरखे भी यहीं रहे, हम भी यहीं हैं, पर आज तक ज़मीन हमारी नहीं हुई… हमारे पास सिर्फ उम्मीद बची है।”

ग्रामीणों की यह बात सुनकर प्रमुख सचिव ने आश्वासन दिया —

“अब यह मामला सिर्फ कागज़ों में नहीं रहेगा। हर परिवार का नाम सर्वे में दर्ज होगा और सही हक़दार को हक़ मिलेगा।”

प्रमुख सचिव का निर्देश – हर प्रभावित गांव में होगा विस्तृत सर्वे

श्री प्रसाद ने दोनों तहसीलों के प्रशासन को निर्देश दिए कि:

  • प्रत्येक प्रभावित गांव में भौतिक सत्यापन व सर्वेक्षण कार्य तत्काल शुरू किया जाए।
  • पात्रता, भूमि उपयोग और कब्जे की वास्तविक स्थिति का फोटोग्राफिक रिकॉर्ड तैयार किया जाए।
  • सर्वे रिपोर्ट सीधे शासन को भेजी जाए, ताकि अग्रेत्तर निर्णय शीघ्र लिया जा सके।

उन्होंने साफ कहा कि शासन स्तर पर इस रिपोर्ट के आधार पर भौमिक अधिकार प्रदान करने का अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

विस्थापितों की दशकों पुरानी लड़ाई

धामपुर और नगीना के दर्जनों गांवों में ऐसे परिवार रह रहे हैं जो वर्षों पहले जलाशयों, वन परियोजनाओं और सिंचाई कार्यों के चलते विस्थापित हुए थे।
इनमें से अधिकतर परिवार आज भी अपनी बस्ती में घर तो बना चुके हैं, पर जमीन का स्वामित्व अधिकार उनके पास नहीं है
शासन की भूमि पर बसे इन लोगों को न तो कर्ज मिलता है, न कोई योजना का लाभ, और न ही संपत्ति का कानूनी अधिकार।

ग्रामीणों का कहना है कि वे पिछले 20–25 वर्षों से अपने “भौमिक अधिकार” की मांग करते आ रहे हैं, परंतु फाइलें आगे नहीं बढ़ पा रहीं थीं।

प्रशासनिक हलचल से बढ़ी उम्मीदें

प्रमुख सचिव का यह दौरा प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि शासन अब इस पूरे मामले को पॉलिसी लेवल पर निपटाने की तैयारी में है।

एक अधिकारी ने बताया —

“यह सिर्फ निरीक्षण नहीं, बल्कि एक नीति-निर्धारण प्रक्रिया की शुरुआत है। अगर सर्वे ठीक हुआ तो जल्द ही शासन स्तर पर ऐतिहासिक फैसला आ सकता है।”

स्थानीय जनभावना – ‘अब की बार कुछ ठोस होगा’

ग्राम मदपूरी के निवासी रामनिवास कहते हैं —

“पहली बार ऐसा हुआ कि बड़े अफसर खुद हमारे गांव आए, हमारी बात सुनी। अब लगता है सरकार हमें भू-मालिक का दर्जा जरूर देगी।”

वहीं सामाजिक कार्यकर्ता राकेश त्यागी ने कहा —

“यह प्रशासनिक दौरा केवल दिखावा नहीं लग रहा। अगर सरकार ने वादा निभाया, तो सैकड़ों परिवारों की जिंदगी बदल जाएगी।”

अब आगे की कार्रवाई

  1. सभी प्रभावित गांवों में विस्तृत सर्वे की शुरुआत अगले हफ्ते से
  2. पात्रता सूची का निर्धारण एवं रिकॉर्ड संकलन
  3. रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी
  4. शासन स्तर पर “भौमिक अधिकार” देने का प्रस्ताव तैयार किया जाएगा
  5. पात्र परिवारों को भूमि स्वामित्व प्रमाणपत्र देने की प्रक्रिया प्रारंभ

विश्लेषण: यह सिर्फ सर्वे नहीं, न्याय की प्रक्रिया की शुरुआत है

बिजनौर में प्रमुख सचिव का यह दौरा एक “सिग्नल” है — शासन अब विस्थापितों की दशकों पुरानी लड़ाई को न्याय दिलाने के मूड में है।
यदि यह पहल पारदर्शिता से आगे बढ़ती है तो यह न केवल धामपुर–नगीना के विस्थापितों को राहत देगी, बल्कि उत्तर प्रदेश के राजस्व प्रशासन में विश्वास बहाली की मिसाल बन जाएगी।

✍️ रिपोर्टर: अवनीश त्यागी
📍स्थान: बिजनौर / धामपुर / नगीना
 तिथि: 07 नवंबर 2025
 स्रोत: जिला प्रशासन बिजनौर, जनसंपर्क विभाग

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