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“वन्दे मातरम्” भारत की भक्ति और शक्ति की शाश्वत अभिव्यक्ति : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

“वन्दे मातरम्” भारत की भक्ति और शक्ति की शाश्वत अभिव्यक्ति : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

राष्ट्रगीत के 150 वर्ष पूर्ण होने पर मुख्यमंत्री ने किया सामूहिक गायन, कहा — “कर्तव्य ही सच्चा वन्दे मातरम् है”
मुख्य बातें एक नज़र में
  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वन्दे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने पर लोक भवन में आयोजित विशेष कार्यक्रम में विचार व्यक्त किए।

  • कहा — “वन्दे मातरम् केवल गीत नहीं, बल्कि भारत की सामूहिक चेतना और राष्ट्रभाव का प्रतीक है।”

  • प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिए गए आह्वान पर देशभर में स्मरणोत्सव आयोजित किए जा रहे हैं।

  • मुख्यमंत्री ने अधिकारियों व कर्मचारियों संग सामूहिक वन्दे मातरम् गायन किया तथा प्रदर्शनी का अवलोकन किया।

  • ‘वन्दे मातरम्’ को बताया — “कर्तव्यों के प्रति जागरूकता का प्रेरक गीत।”

“वन्दे मातरम्” बना स्वतंत्रता का अमर मंत्र

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ‘वन्दे मातरम्’ भारत की भक्ति और शक्ति की सामूहिक तथा शाश्वत अभिव्यक्ति का स्वरूप है।
उन्होंने स्मरण कराया कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यह गीत देशवासियों के हृदय में अमर मंत्र बन गया था।
हर गांव, हर नगर में प्रभात फेरियों के माध्यम से इस गीत ने सामूहिक चेतना का प्रसार किया।
उन्होंने कहा —

“विदेशी हुकूमत की यातनाओं के बावजूद जब क्रांतिकारी ‘वन्दे मातरम्’ गाते हुए फांसी के फंदे को चूमते थे, तब यह गीत राष्ट्रभक्ति का प्रतीक बन गया था।”

भारत को एक सूत्र में बांधने वाला गीत

योगी ने कहा कि ‘वन्दे मातरम्’ किसी एक धर्म, जाति या भाषा का प्रतिनिधित्व नहीं करता,
बल्कि यह संस्कृत और बांग्ला के संगम से उत्पन्न वह स्वर है, जो सम्पूर्ण भारत को एक राष्ट्र के भाव से जोड़ता है।
उन्होंने बताया कि 1905 के बंग-भंग आंदोलन के समय इस गीत ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ देशवासियों को एकजुट किया था।

बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की “आनंद मठ” से निकला अमर स्वर

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह गीत बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास “आनंद मठ” से प्रेरित है,
जिसमें तत्कालीन बंगाल की पीड़ित जनता के स्वर और स्वदेशी चेतना को उकेरा गया था।
सन्यासियों के आंदोलन के रूप में यह स्वर बाद में राष्ट्रीय जागरण की लहर बन गया।

कर्तव्य ही सच्चा ‘वन्दे मातरम्’ : योगी

मुख्यमंत्री ने कहा —

“जब शिक्षक अपने छात्र को संस्कारवान बनाता है, जवान सीमाओं पर देश की रक्षा करता है,
किसान अन्न उपजाता है, तब वे सभी ‘वन्दे मातरम्’ का वास्तविक अर्थ जीवंत करते हैं।”

उन्होंने कहा कि बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों ने ही कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहने की प्रेरणा दी है।
योगी ने इसे “कर्तव्य की साधना का गीत” बताते हुए कहा कि

“जो नागरिक अपने कर्तव्यों का पालन करता है, वह वास्तव में ‘वन्दे मातरम्’ का गान कर रहा होता है।”

उत्तर प्रदेश का विकास — कर्तव्यों की अभिव्यक्ति

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश ने बीते आठ वर्षों में विकास की जो ऊंचाइयां छुई हैं,
वह हमारे सामूहिक कर्तव्यों और निष्ठा की ही परिणति है।
उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान प्रशासन, कर्मियों और नागरिकों की सेवा भावना को “जीवंत वन्दे मातरम्” की मिसाल बताया।

कार्यक्रम में शामिल हुए वरिष्ठ अधिकारी

इस अवसर पर मुख्य सचिव एस.पी. गोयल,
अपर मुख्य सचिव (वित्त) दीपक कुमार,
डीजीपी राजीव कृष्ण,
तथा प्रमुख सचिव संजय प्रसाद सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री ने सभी के साथ राष्ट्रगीत का सामूहिक गायन किया और
संस्कृति विभाग की प्रदर्शनी का अवलोकन किया।

✍️ विश्लेषणात्मक दृष्टि से

यह कार्यक्रम केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि राष्ट्रवाद की आत्मा के पुनर्जागरण का प्रतीक था।
योगी आदित्यनाथ ने “वन्दे मातरम्” को सांस्कृतिक एकता और कर्तव्यनिष्ठ नागरिकता का सूत्र बताया —
एक ऐसा दृष्टिकोण जो आज के भारत में आधुनिक राष्ट्रवाद की नई परिभाषा गढ़ता है।

📌 निष्कर्ष

“वन्दे मातरम्” के 150 वर्ष केवल एक गीत की स्मृति नहीं,
बल्कि राष्ट्र भावना, एकता और कर्तव्यनिष्ठा के शताब्दियों पुराने संस्कार का उत्सव हैं।
योगी का संदेश स्पष्ट था —

“स्वार्थ से ऊपर उठकर जब हम अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं,
तभी सच्चे अर्थों में ‘वन्दे मातरम्’ का गान होता है।”

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