Target Tv Live

ईंट-भट्टा सत्र 2025-26: शुल्क न जमा किया तो भट्ठा बंद, मुकदमे और जुर्माना पक्का

ईंट-भट्टा सत्र 2025-26: शुल्क न जमा किया तो भट्ठा बंद, मुकदमे और जुर्माना पक्का

प्रशासन की सख्त चेतावनी—“नियम तोड़े तो भारी नुकसान के लिए तैयार रहें”

बिजनौर, 20 नवंबर 2025।
ईंट-भट्ठा स्वामियों के लिए इस बार सत्र बिल्कुल आसान नहीं रहने वाला। जिला प्रशासन ने विनियमन शुल्क को लेकर अभूतपूर्व सख्ती बरतते हुए स्पष्ट कर दिया है कि जो भी भट्ठा स्वामी बिना शुल्क जमा किए संचालन शुरू करेगा, वह सीधे कानूनी कार्रवाई के दायरे में आएगा। अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व वान्या सिंह द्वारा जारी ताज़ा निर्देश अब किसी विकल्प की गुंजाइश नहीं छोड़ते।

कार्रवाई किन-किन कानूनों के तहत होगी?

यदि किसी भट्ठा स्वामी ने शुल्क जमा किए बिना पथाई या फुकाई शुरू की—

  • खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम 1957 के तहत मुकदमा,
  • उपखनिज परिहार नियमावली 2021 के अंतर्गत भारी आर्थिक दंड,
  • प्रदूषण नियंत्रण विभाग द्वारा भट्ठा सीलिंग,
  • भविष्य के लाइसेंस नवीनीकरण पर रोक,
  • और देर से भुगतान पर अतिरिक्त ब्याज
    इन सबका सामना करना पड़ेगा।

प्रशासन का साफ संदेश—

“किसी भी कीमत पर अनियमित संचालन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”

डेढ़ महीने बाद भी नहीं जागे अधिकांश भट्ठा स्वामी

1 अक्टूबर से ईंट-भट्ठा सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन प्रशासन की समीक्षा में सामने आया कि बड़ी संख्या में भट्ठा स्वामी अब तक विनियमन शुल्क जमा नहीं कर पाए हैं।
यह स्थिति शासन के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद बनी हुई है, जिसे ADM ने “गंभीर लापरवाही” बताया।

सूत्रों के अनुसार कई भट्ठे बिना शुल्क जमा किए संचालन की तैयारी में हैं, जिससे प्रशासन और अधिक सख्त हो गया है।

ऑनलाइन सिस्टम लागू—गलत जानकारी भरते ही फंस सकते हैं भट्ठा स्वामी

भट्ठा स्वामी को पोर्टल पर—

  • ₹2000 आवेदन शुल्क जमा करना,
  • भट्ठा स्थल का Geo-coordinate,
  • भट्ठा प्रकार (सामान्य/जिग-जैग),
  • पायों की वास्तविक संख्या,
  • खनन क्षेत्र का विवरण,
  • तथा कोई बकाया न होने का शपथपत्र अनिवार्य रूप से अपलोड करना होगा।

पोर्टल दी गई जानकारी के आधार पर शुल्क स्वतः गणना करेगा और यही राशि ऑनलाइन जमा करनी होगी।
शुल्क जमा होने के बाद ही “विनियमन शुल्क जमा प्रमाणपत्र” उपलब्ध होगा—
यही प्रमाणपत्र भट्ठा संचालन की कानूनी योग्यता माना जाएगा।

30 नवंबर की डेडलाइन—इसके बाद बढ़ेगा खर्च

ADM ने स्पष्ट किया है कि—

  • 30 नवंबर 2025 तक जमा की गई राशि पर कोई ब्याज नहीं लगेगा।
  • लेकिन इसके बाद शुल्क जमा करने पर नियमित ब्याज अनिवार्य होगा,
    जिससे भट्ठा स्वामी पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ेगा।

यानी देरी सिर्फ प्रशासनिक उल्लंघन नहीं, बल्कि आर्थिक घाटे का सीधा कारण बनेगी।

भट्ठा चलाने की सिर्फ एक शर्त—शुल्क जमा करो, वरना कार्रवाई झेलो

प्रशासन की ओर से जारी चेतावनी बेहद तीखी है—

“पहले विनियमन शुल्क जमा कर प्रमाणपत्र प्राप्त करें, तभी भट्ठा संचालन शुरू करें।
नियमों का उल्लंघन करने पर कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।”

सूत्रों से संकेत है कि विभाग जल्द ही
जिला-स्तर पर विशेष निरीक्षण अभियान भी चला सकता है, जिसमें अनियमित भट्ठों पर सीधी कार्रवाई की जाएगी।

क्यों इतनी सख्ती?

राज्य सरकार उपखनिज परिहार नियमावली 2021 को इस बार पूरी गंभीरता से लागू कर रही है। पर्यावरण, खनन और राजस्व—तीनों क्षेत्रों में पारदर्शिता और नियंत्रण बढ़ाने के उद्देश्य से पायों के आधार पर शुल्क प्रणाली को अनिवार्य किया गया है।

📌 अब ढिलाई की कोई गुंजाइश नहीं

भट्ठा स्वामी के लिए आगामी दिनों में केवल दो रास्ते—

  1. नियमों का पालन कर शुल्क जमा करें और भट्ठा कानूनी रूप से चलाएं।
  2. या फिर भारी दंड, कानूनी कार्रवाई और भट्ठा बंद होने के खतरे के लिए तैयार रहें।

प्रशासन का रुख स्पष्ट है—
“समय कम है, नियम सख्त हैं, और लापरवाही महंगी पड़ेगी।

Leave a Comment

यह भी पढ़ें