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सात साल से एक ही ब्लॉक में जमे पंचायत सचिव! स्थानांतरण नीति की धज्जियां उड़ाते अधिकारी

Operation Vikas Bhavan 2nd installment
सात साल से एक ही ब्लॉक में जमे पंचायत सचिव! स्थानांतरण नीति की धज्जियां उड़ाते अधिकारी, विभाग की चुप्पी पर उठे सवाल

बिजनौर से विशेष रिपोर्ट

एकता सेवा सोसाइटी के अध्यक्ष आर.पी. सिंह ने मुख्यमंत्री और जिलाधिकारी से की शिकायत — बोले, सात साल से ब्लॉक पर जमे हैं तीन पंचायत सचिव, गबन और साठगांठ का खेल जारी

क्या है पूरा मामला?

जनपद बिजनौर के विकासखंड कोतवाली देहात और किरतपुर में पंचायत सचिवों की लंबे समय से जमी तैनाती को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है।
एकता सेवा सोसाइटी (रजि.) के प्रबंधक समिति अध्यक्ष आर.पी. सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और जिलाधिकारी बिजनौर को पत्र भेजकर आरोप लगाया है कि—

“कोतवाली ब्लॉक में तैनात विनीत राठी और शुभम कुमार, तथा किरतपुर ब्लॉक में तैनात सौरभ आधरान पिछले सात सालों से एक ही ब्लॉक में पदस्थ हैं। विभागीय अधिकारियों की साठगांठ के चलते इनका तबादला नहीं हो रहा।”

सरकारी नीति का खुला उल्लंघन

उत्तर प्रदेश सरकार की तबादला नीति 2023 के अनुसार, किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को सात वर्षों से अधिक एक ही स्थान पर तैनात नहीं रखा जा सकता।
लेकिन शिकायतकर्ता के अनुसार, यह तीनों पंचायत सचिव “कुंडली मारकर” अपने ब्लॉकों में बैठे हैं और जेई व ग्राम प्रधानों के साथ मिलीभगत कर सरकारी धन के गबन में लिप्त हैं।

शिकायत में क्या कहा गया है:

आर.पी. सिंह ने कहा कि—

  • इस मामले की शिकायत कई बार विभाग को की गई, पर कार्रवाई नहीं हुई।
  • जिला स्तर पर बैठे अधिकारी इस मामले को टालमटोल और दबाने का काम कर रहे हैं।
  • जनहित में तुरंत इनका स्थानांतरण किया जाए ताकि विकास कार्यों में पारदर्शिता आ सके।

स्थानीय स्तर पर बढ़ रहा आक्रोश

गांवों के लोगों में भी इस मामले को लेकर नाराज़गी और अविश्वास बढ़ रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि—

“जब एक ही अधिकारी सालों-साल एक ब्लॉक में बना रहेगा तो भ्रष्टाचार और पक्षपात बढ़ेगा। विकास कार्यों की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है।”

नीति का मकसद बनाम हकीकत

विकास भवन के ईमानदार मुखिया छोटे छोटे नेताओं के दबाव में काम करने के आदि हो चुके हैं, इसीलिए चाहे, अनचाहे अनैतिक और अवैधानिक काम अपने अधीनस्थों को करने को मजबूर करते हैं। बल्कि स्वयं भी करने से नहीं कतराते हैं।

नीति का उद्देश्य ज़मीनी हकीकत
पारदर्शिता लाना स्थानीय अधिकारियों की साठगांठ से नीति बेअसर
भ्रष्टाचार रोकना शिकायतों के बावजूद कार्रवाई नहीं
समान अवसर देना कुछ अधिकारी वर्षों से एक ही जगह पर जमे

💬 आर.पी. सिंह का बयान:

“सरकार ने तबादला नीति बनाई ही इसलिए थी कि कोई भी अधिकारी एक ही जगह रहकर नेटवर्क न बना सके। लेकिन बिजनौर में यही नीति सबसे ज़्यादा तोड़ी जा रही है। मुख्यमंत्री से उम्मीद है कि इस पर तत्काल सख्त कदम उठाए जाएंगे।”

DPRO छविनाथ ने बताया

कि एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम दस प्रतिशत सचिवों का स्थानांतरण किया जा सकता है। क्योंकि दस वर्ष से अधिक एक ही विकास खंड में तैनात अनेक सचिव थे। उनको स्थानांतरित किया गया है। उनकी वजह से ऐसे बहुत से सचिव स्थानांतरण से छूट गए हैं।

अब उठते हैं ये सवाल:

  • क्या जिलाधिकारी बिजनौर इस शिकायत पर तुरंत जांच कर कार्रवाई करेंगे?
  • क्या सात साल से जमे पंचायत सचिवों का तबादला होगा?
  • या फिर मामला फिर से फाइलों में दबा रह जाएगा?

निष्कर्ष:

बिजनौर के पंचायत सचिवों का यह मामला न सिर्फ तबादला नीति की साख पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि स्थानीय प्रशासनिक ढांचे में पारदर्शिता की कमी कितनी गहरी है।
अब देखना यह है कि शासन जनहित में कार्रवाई करता है या नीति फिर से ताक पर रख दी जाती है।

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