बिजनौर में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही
धड़ल्ले से चल रहे बिना रजिस्ट्रेशन पैथोलॉजी व डायग्नोस्टिक सेंटर, मरीजों की सेहत पर खतरा
बिजनौर।
स्वास्थ्य सेवाओं की जड़ों में भ्रष्टाचार और लापरवाही कितनी गहरी पैठ चुकी है, इसकी बानगी बिजनौर में साफ देखने को मिल रही है। शहर ही नहीं, बल्कि कस्बों और गांवों तक बड़ी संख्या में पैथोलॉजी और डायग्नोस्टिक सेंटर खुलेआम संचालित हो रहे हैं। इनमें से कई सेंटरों के पास न तो रजिस्ट्रेशन है और न ही योग्य विशेषज्ञ। मरीजों की जिंदगी के साथ हो रहा यह खिलवाड़ गंभीर चिंता का विषय है।
हाइलाइटर
- बिना रजिस्ट्रेशन धड़ल्ले से चल रहे पैथोलॉजी व डायग्नोस्टिक सेंटर
- बिना एमडी पैथोलॉजिस्ट व रेडियोलॉजिस्ट के मनमाना संचालन
- स्वास्थ्य विभाग पर मिलीभगत और चुप्पी के आरोप
- गलत रिपोर्टिंग से बढ़ रहा मरीजों का खतरा
मरीजों की जान से खेल
सूत्र बताते हैं कि कई पैथोलॉजी और डायग्नोस्टिक सेंटरों पर रिपोर्टिंग ऐसे लोगों द्वारा की जाती है जिनके पास एमडी पैथ या एमडी रेडियोलॉजी की विशेषज्ञ डिग्री नहीं है। ऐसे में गलत रिपोर्ट आने की संभावना बहुत अधिक रहती है, जिसका सीधा असर मरीजों के इलाज और जीवन पर पड़ता है।
ग्रामीण इलाकों में तो हालात और भी गंभीर हैं, जहां गरीब और अशिक्षित मरीज बिना जांचे-परखे इन्हीं अवैध सेंटरों पर भरोसा करने को मजबूर हैं।
विभाग की चुप्पी पर सवाल
जनता का सवाल बिल्कुल सीधा है—
- आखिर स्वास्थ्य विभाग इन अवैध सेंटरों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा?
- क्या निरीक्षण महज़ कागजों तक सीमित है?
- क्या विभाग की आंखों के सामने यह गोरखधंधा यूं ही चलता रहेगा?
लोगों का आरोप है कि विभाग की चुप्पी कहीं न कहीं मिलीभगत का संकेत देती है।
बिजनौर में स्वास्थ्य विभाग की यह लापरवाही अब जनस्वास्थ्य संकट का रूप ले चुकी है। यदि समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए तो इसका खामियाजा सीधे-सीधे आम जनता को भुगतना पड़ेगा। सवाल यह है कि—
👉 क्या विभाग नींद से जागेगा या फिर मरीजों की जिंदगी यूं ही खतरे में पड़ती रहेगी?







