बिजनौर: ईको-सेंसिटिव जोन में अवैध खनन का भंडाफोड़ — वन विभाग ने दो पोकलेन और तीन ट्रक जब्त किए
राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना के नाम पर मिट्टी खनन, के.आर.सी. इन्फ्रा प्रोजेक्ट पर आरोप; FIR दर्ज कर कार्रवाई शुरू
📍 घटना सारांश
- तारीख: 11 नवंबर 2015
- स्थान: लखपतपुर , थाना कोतवाली शहर, जनपद बिजनौर
- कार्रवाई करने वाले अधिकारी: वन दरोगा मदनपाल सिंह व टीम
- मुख्य आरोपी:
- सुक्खा सिंह पुत्र पुरनचरण सिंह, निवासी आग, बिजनौर
- के.आर.सी. इन्फ्रा प्रोजेक्ट प्रा. लि., रसूलपुर रोड, हरियाणा
- जब्ती: 2 पोकलेन मशीनें, 3 ट्रक (NL-01-AG/3827, HR-33F/1892, HP-27A/2743)
- कानूनी धाराएँ: वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 की धारा 5(1), 3 और वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 51
ईको-सेंसिटिव जोन में हुआ अवैध खनन
11 नवंबर 2015 की सुबह करीब 9:50 बजे, वन विभाग की टीम ने प्रभवीपुर गांव के समीप ईको-सेंसिटिव जोन में अवैध खनन की सूचना पर छापा मारा।
मौके पर दो पोकलेन मशीनें और तीन ट्रक मिट्टी से लदे मिले। चालकों ने खनन अनुमति पत्र नहीं दिखाया।
वन दल ने मशीनें वन विभाग की निगरानी में मौके पर ही जब्त कीं और कोतवाली नगर बिजनौर को प्राथमिकी दर्ज करने के लिए रिपोर्ट भेजी।
GPS कोऑर्डिनेट्स (29.30517° N, 78.124222° E) से पुष्टि हुई कि खनन पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र में किया गया था।
कंपनी का नाम सामने आया
पूछताछ में मौके पर मौजूद कर्मचारियों ने बताया कि यह कार्य मैसर्स के.आर.सी. इन्फ्रा प्रोजेक्ट प्रा. लि. द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के निर्माण कार्य के लिए किया जा रहा था।
हालाँकि, खनन के लिए आवश्यक स्वीकृति या पर्यावरणीय अनुमति (Environmental Clearance) मौके पर प्रस्तुत नहीं की जा सकी।
ड्राइवर और मशीन ऑपरेटर
वन विभाग की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार —
- मुनेश कुमार पुत्र नरेश कुमार, ग्राम निजामतपुरा, बिजनौर
- अशोक कुमार पुत्र सत्यवान, ग्राम मखण्ड भाना, हरियाणा
- फूल सिंह पुत्र राम प्रसाद, ग्राम अलीगढ़
इन तीनों ट्रक चालकों से दस्तावेज माँगे गए, परंतु कोई वैध खनन अनुज्ञा पत्र नहीं दिखाया जा सका।
कानूनी कार्रवाई आरंभ
मौके की स्थिति और भौगोलिक साक्ष्य के आधार पर वन विभाग ने वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 व वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया।
दोनों पोकलेन मशीनें और तीन ट्रक सीज कर दिए गए और उनकी निगरानी वन कर्मियों के हवाले कर दी गई।
पर्यावरणीय असर और जोखिम
बिजनौर जिला गंगा और मालिनी नदियों के तटीय क्षेत्र में आता है। यहाँ की भूमि ईको-सेंसिटिव जोन के रूप में अधिसूचित है, जहाँ बिना अनुमति मिट्टी की खुदाई पर्यावरणीय कानून का गंभीर उल्लंघन है।
2015-16 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और NGT (National Green Tribunal) ने भी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में अनियंत्रित मिट्टी/रेत खनन पर कड़ी टिप्पणियाँ की थीं।
- NGT Order OA No. 123/2015 (North India Mining Cases)
- CPCB Annual Report 2015-16, Section: Sand and Soil Mining Controls
विश्लेषणात्मक निष्कर्ष
यह मामला केवल एक स्थानीय अवैध खनन घटना नहीं, बल्कि उस व्यापक प्रवृत्ति का हिस्सा है जिसमें बड़ी निर्माण कंपनियाँ राष्ट्रीय परियोजनाओं की आड़ में ईको-सेंसिटिव जोन में खनन करती हैं।
ऐसे मामलों में अक्सर अनुमति-पत्रों की कमी, ठेकेदारों की जिम्मेदारी और विभागीय समन्वय की कमजोरियाँ उजागर होती हैं। की
- Standing Committee on Environment (Lok Sabha Report No. 294, 2016) ने भी यह अनुशंसा की थी कि NHAI परियोजनाओं के खनन कार्यों पर स्थानीय वन अधिकारियों की निगरानी अनिवार्य की जाए।
📌 मुख्य संदेश
बिजनौर का यह प्रकरण बताता है कि वन विभाग की त्वरित कार्रवाई ने ईको-सेंसिटिव जोन में हो रहे अवैध खनन पर अंकुश लगाया।
अब यह देखना होगा कि के.आर.सी. इन्फ्रा प्रोजेक्ट प्रा. लि. और संबंधित व्यक्तियों पर आगे क्या विधिक कदम उठाए जाते हैं, और क्या यह मामला भविष्य में अवैध खनन रोकने के लिए नजीर (precedent) बन पाएगा।







