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किसानों ने देखी खेती की नई क्रांति! — शाहजहांपुर से बिंदल शुगर मिल तक नवाचार की यात्रा

किसानों ने देखी खेती की नई क्रांति! — शाहजहांपुर से बिंदल शुगर मिल तक नवाचार की यात्रा


शरदकालीन गन्ना, ड्रैगन फ्रूट और ट्रेंच प्लांटिंग बनी चर्चा का केंद्र

बिंदल शुगर मिल में किसानों का अध्ययन भ्रमण बना प्रेरणा का संगम!

चांगीपुर (बिजनौर), 10 नवम्बर 2025 | अवनीश त्यागी, विशेष रिपोर्ट
कृषि नवाचार की दिशा में एक सराहनीय कदम उठाते हुए आज गन्ना किसान संस्थान, शाहजहांपुर के तत्वावधान में 50 कृषकों का प्रतिनिधिमंडल बिंदल शुगर मिल, चांगीपुर के क्षेत्र में पहुंचा।
यह भ्रमण केवल एक “फील्ड विजिट” नहीं था — बल्कि किसानों के लिए खेती के आधुनिक युग की पाठशाला साबित हुआ।

गन्ना, ड्रैगन फ्रूट, ट्रेंच प्लांटिंग, ट्रिपलर मशीन और जैविक खेती — इन सभी विषयों ने किसानों की जिज्ञासा और जोश को चरम पर पहुँचा दिया।

ड्रैगन फ्रूट की खेती बनी आकर्षण का केंद्र

भ्रमण का सबसे रोमांचक पहलू रहा ड्रैगन फ्रूट की खेती का लाइव प्रदर्शन
किसानों ने पहली बार करीब से देखा कि कैसे इस विदेशी फल की बेलें कम सिंचाई और सीमित देखरेख में भी शानदार उत्पादन देती हैं।
विशेषज्ञों ने बताया कि —

“यदि गन्ना किसान अपने खेतों के कुछ हिस्से में ड्रैगन फ्रूट लगाएं तो उन्हें प्रति बीघा अतिरिक्त 1.5 से 2 लाख रुपये का लाभ मिल सकता है।”

यह जानकारी सुनकर कई किसान उत्साहित नज़र आए।
किसानों ने इसे “गन्ने के साथ लाभदायक सह-फसल” के रूप में अपनाने की इच्छा जताई।

ट्रेंच प्लांटिंग विधि ने खींचा ध्यान — लंबा, मोटा और जोशिला गन्ना!

इसके बाद किसानों को ट्रेंच प्लांटिंग विधि के कई प्रदर्शन प्लॉट्स दिखाए गए।
किसानों ने आश्चर्य से देखा कि ट्रेंच विधि से उगे गन्ने में न केवल टिलरिंग (कल्ले) अधिक हैं बल्कि गन्ने की लंबाई व मोटाई भी बेहद प्रभावशाली है।

विशेषज्ञों ने बताया कि यह विधि —

  • जल संरक्षण करती है
  • खाद की खपत घटाती है
  • और पैदावार 25–30% तक बढ़ा देती है

एक किसान ने कहा — “हमने तो गन्ने को इतना हरा-भरा पहले कभी नहीं देखा था! अब यह तकनीक अपने गांव में जरूर अपनाएंगे।”

मिल भ्रमण: मशीनों से सीखता किसान

कृषकों को बिंदल शुगर मिल के यार्ड व केन करियर सेक्शन का भ्रमण भी कराया गया।
मिल के विशाल परिसर में किसानों ने ट्रिपलर मशीन द्वारा गन्ना चैन में डाले जाने की प्रक्रिया को लाइव देखा।
यह दृश्य किसानों के लिए किसी टेक्नोलॉजी एक्सपो से कम नहीं था।

किसानों ने कहा — “हमने गन्ने को खेत से मिल तक आते देखा, पर यह कैसे प्रोसेस होता है, आज पहली बार समझा।”

यह अनुभव उनके लिए ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक दोनों रहा।

मिल प्रबंधन का सक्रिय सहयोग — संवाद और दिशा

इस अवसर पर बिंदल शुगर मिल के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे —

  • मुख्य गन्ना प्रबंधक: इंद्रवीर सिंह
  • गन्ना प्रबंधक: भूपेंद्र सिंह
  • अपर गन्ना प्रबंधक: राजवीर सिंह

इन अधिकारियों ने किसानों से खुलकर संवाद किया और बताया कि गन्ना उद्योग तभी सशक्त बनेगा जब किसान तकनीक से जुड़ेंगे, सोच में बदलाव लाएंगे और नवाचार को अपनाएंगे।

इंद्रवीर सिंह ने कहा —

“गन्ना सिर्फ एक फसल नहीं, यह हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
अगर किसान आधुनिक विधियों को अपनाएंगे, तो मिल और किसान दोनों समृद्ध होंगे।”

💬 किसानों की प्रतिक्रियाएँ — “आज खेतों ने हमें सिखाया!”

किसानों ने इस भ्रमण को “आँखें खोलने वाला अनुभव” बताया।
उनका कहना था कि ऐसी पहलें न केवल जानकारी देती हैं बल्कि कृषि को आत्मनिर्भर बनाने की भावना भी जगाती हैं।

शाहजहांपुर के किसान नरेश पाल बोले — “हम तो सोच रहे हैं कि अगले सीजन में ड्रैगन फ्रूट और गन्ना दोनों साथ लगाएँगे।”
वहीं एक अन्य किसान ने कहा — “ट्रेंच विधि से गन्ना इतना घना और मजबूत दिखा कि अब पारंपरिक तरीके हमें कमजोर लगने लगे हैं।”

विश्लेषणात्मक दृष्टि से : भविष्य की खेती का रोडमैप

यह भ्रमण केवल एक कार्यक्रम नहीं बल्कि कृषि सुधार की दिशा में चल रही एक क्रांति का संकेत है।
उत्तर प्रदेश के किसान अब तकनीक, शोध और प्रबंधन के संगम से
लागत घटाने, उत्पादन बढ़ाने और लाभांश दोगुना करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।

यह पहल यह भी दर्शाती है कि चीनी मिलें अब केवल गन्ना खरीद केंद्र नहीं रहीं,
बल्कि कृषि नवाचार और किसान शिक्षा के प्रशिक्षण केंद्र बन रही हैं।

निष्कर्ष : ज्ञान की यह यात्रा ही असली क्रांति है!

“खेती वही सफल है जो समय के साथ बदलने का साहस रखती है।”

बिंदल शुगर मिल में किसानों का यह भ्रमण,
न केवल गन्ना उत्पादन की नई संभावनाओं का द्वार खोलेगा,
बल्कि आने वाले समय में ड्रैगन फ्रूट और गन्ने की जोड़ी
उत्तर प्रदेश की खेतिहर अर्थव्यवस्था का नया चेहरा बन सकती है।

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