अवनीश त्यागी की एक्सक्लूसिव डिजिटल रिपोर्ट:
“गंगा की निर्मल धारा से लेकर गुलदार की सुरक्षा तक
DM जसजीत कौर का ‘ग्रीन मिशन’ मोड ऑन! बिजनौर में चला पर्यावरण और जनसुरक्षा का बड़ा अभियान”
“गंगा घाटों की स्वच्छता, गंदे नालों पर रोक, अस्पतालों में बायो वेस्ट मैनेजमेंट, गुलदार प्रभावित गांवों में जागरूकता — डीएम ने चार मोर्चों पर प्रशासन को दिया एक्शन अलर्ट”
बिजनौर से ग्राउंड रिपोर्ट | 31 अक्टूबर 2025
बिजनौर प्रशासन अब “सिर्फ बैठकों का शहर” नहीं, बल्कि “मॉडल इको-डिस्ट्रिक्ट” बनने की राह पर है।
शुक्रवार की शाम कलेक्ट्रेट सभागार में जिलाधिकारी जसजीत कौर की अध्यक्षता में हुई चार महत्वपूर्ण समितियों की बैठक ने यह साबित कर दिया — कि प्रशासन अब “कागज़ी योजना नहीं, जमीनी क्रिया” पर फोकस कर रहा है।
इस संयुक्त बैठक में चारों समितियाँ —
जिला गंगा समिति
जिला वृक्षारोपण समिति
जिला पर्यावरण समिति
मानव-गुलदार संघर्ष न्यूनीकरण समिति —
एक ही लक्ष्य के लिए एकजुट हुईं: “स्वच्छ, हरित और सुरक्षित बिजनौर।”
गंगा की अविरलता पर सख्त रुख — “नाला नहीं, सिर्फ निर्मल जल गंगा में जाए”
बैठक की शुरुआत में ही डीएम जसजीत कौर ने स्पष्ट शब्दों में कहा —
“गंगा में गंदा पानी पहुंचना अब इतिहास होना चाहिए। जो भी विभाग लापरवाही करेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई तय है।”
उन्होंने नगर निकायों और ग्राम पंचायतों को निर्देश दिया कि:
- कोई भी नाला या सीवर का पानी गंगा में न बहे — इस पर हर सप्ताह निगरानी रिपोर्ट तैयार की जाए।
- गंगा तटवर्ती गांवों में “ग्राम वन” विकसित कर वहां स्थानीय प्रजातियों के पेड़ लगाए जाएं।
- गंगा घाटों पर स्वच्छ पेयजल व्यवस्था और टूटे-फूटे शौचालयों की मरम्मत तत्काल कराई जाए।
- जनभागीदारी आधारित स्वच्छता अभियान शुरू किया जाए ताकि स्थानीय लोग भी गंगा संरक्षण में भाग लें।
“गंगा हमारी आस्था ही नहीं, हमारी सांस भी है। इसे दूषित करना भविष्य को खतरे में डालना है।” — डीएम जसजीत कौर
वृक्षारोपण और पर्यावरण — ‘ग्रीन गवर्नेंस’ का नया अध्याय
बैठक का दूसरा फोकस रहा वृक्षारोपण और वायु प्रदूषण नियंत्रण।
डीएम ने अधिकारियों को कड़ा संदेश दिया —“सिर्फ पौधे लगाने से नहीं, उन्हें बचाने से जिले की हरियाली बढ़ेगी।”
मुख्य बिंदु:
- हर पौधे का जियो टैगिंग और फोटो अपडेट अनिवार्य।
- विभागीय अधिकारी पौधारोपण पंजिका अद्यतन रखें।
- सूखा और गीला कचरा अलग-अलग एकत्र किया जाए।
- डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण को हर वार्ड में अनिवार्य किया जाए।
डीएम ने वायु प्रदूषण पर कहा —
“जो भी यूनिट्स प्रदूषण मानकों का पालन नहीं कर रहीं, उनके खिलाफ जुर्माना बढ़ाया जाए। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली कोई गतिविधि अब नहीं चलेगी।”
अस्पतालों के बायो-मेडिकल वेस्ट पर उन्होंने कहा कि हर अस्पताल में बारकोड सिस्टम के आधार पर ही कचरा निस्तारण हो। यह कदम चिकित्सा अपशिष्ट के गलत निस्तारण को रोकेगा।
गुलदार संघर्ष न्यूनीकरण — जंगल और जन का ‘सह-अस्तित्व अभियान’
बिजनौर के जंगल क्षेत्रों में अक्सर गुलदार की आवाजाही से ग्रामीणों में डर का माहौल रहता है। डीएम जसजीत कौर ने इस संवेदनशील मुद्दे पर विशेष जोर दिया।
मुख्य निर्देश:
- गुलदार प्रभावित गांवों में जागरूकता कैंप चलाए जाएं।
- ब्लॉक-वाइज प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हों।
- वन विभाग और पंचायत राज मिलकर संयुक्त टीमें बनाएं।
- स्वयंसेवी वन मित्रों को टीमों में शामिल कर प्रशिक्षित किया जाए।
- गुलदार हमले से घायल व्यक्तियों को शीघ्र मुआवजा दिलाया जाए।
- सभी पिंजरों की तकनीकी जांच हो ताकि कोई भी पिंजरा मानकों से कम न हो।
“गुलदार से डर नहीं, समझ जरूरी है। जागरूकता से संघर्ष नहीं, सुरक्षा सुनिश्चित होगी।” — डीएम जसजीत कौर
पर्यावरण समिति की समीक्षा — ‘एयर क्वालिटी पर जीरो टॉलरेंस’
डीएम ने जिले में बढ़ते वायु प्रदूषण स्तर को गंभीरता से लेते हुए साफ कहा कि —
“जो भी औद्योगिक इकाइयाँ, निर्माण स्थल या वाहन मानकों का पालन नहीं करेंगे, उन पर सीधी कार्रवाई होगी।”
उन्होंने अधिकारियों को आदेश दिया कि प्रदूषण फैलाने वाले स्रोतों की पहचान, रीयल-टाइम मॉनिटरिंग, और साप्ताहिक रिपोर्टिंग सिस्टम लागू किया जाए।
साथ ही उन्होंने कहा कि नगर निकाय अपने स्तर पर धूल नियंत्रण उपाय, कचरा निस्तारण, और सड़क सफाई अभियान को प्राथमिकता से चलाएं।
अधिकारियों की मौजूदगी और तालमेल
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी रणविजय सिंह, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी, वन विभाग, नगर निकाय, पर्यावरण, स्वास्थ्य और पंचायत विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
डीएम ने सभी विभागों से कहा कि —
“अलग-अलग काम नहीं, एकजुट प्रयासों से ही परिणाम मिलेंगे।”
विश्लेषणात्मक दृष्टि से: यह बैठक क्यों खास है?
यह बैठक सिर्फ समीक्षा नहीं थी, बल्कि एक “विजन डॉक्यूमेंट” की झलक थी।
यहां चारों समितियों को जोड़कर जिलाधिकारी ने इंटीग्रेटेड एक्शन सिस्टम का मॉडल प्रस्तुत किया।प्रमुख प्रभाव:
✅ गंगा किनारे स्वच्छता मिशन की रफ्तार बढ़ेगी।
✅ वृक्षारोपण का डेटा अब पारदर्शी और ट्रैक करने योग्य होगा।
✅ अस्पतालों में मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट सुधरेगा।
✅ गुलदार संघर्ष क्षेत्रों में लोगों में डर नहीं, जागरूकता बढ़ेगी।यह मॉडल भविष्य में “सतत विकास + जनसुरक्षा” के मिश्रित प्रशासनिक ढांचे की दिशा तय कर सकता है।
निष्कर्ष: बिजनौर बना ‘ग्रीन और सेफ डिस्ट्रिक्ट’ का मॉडल
डीएम जसजीत कौर की यह पहल सिर्फ बैठकों का औपचारिक हिस्सा नहीं, बल्कि एक ‘पर्यावरण-मानव एकता’ की सशक्त पहल है।
उनका संदेश साफ था —
“स्वच्छ गंगा, स्वच्छ पर्यावरण और सुरक्षित मानव — यही है बिजनौर का नया संकल्प।”
बिजनौर अब प्रशासनिक नहीं, बल्कि पर्यावरणीय नेतृत्व का प्रतीक बनता दिख रहा है —
जहाँ गंगा की धारा स्वच्छ, हवा निर्मल, और गांव-जंगल दोनों सुरक्षित हों।
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बिजनौर से — अवनीश त्यागी की विशेष रिपोर्ट







