भाई-बहन के अटूट स्नेह का पर्व “भैय्यादूज” हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया
भाई-बहन के प्रेम का अनुपम संगम — शहर से गांव तक उमड़ी अपार श्रद्धा और उल्लास
📍 मुरादाबाद से विशेष रिपोर्ट
भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित पर्व भैय्यादूज का उल्लास मुरादाबाद महानगर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक देखने को मिला।
सुबह से ही बहनों का अपने भाइयों के घर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया — हर गली-मोहल्ले में स्नेह, मिठास और पारिवारिक उमंग की झलक स्पष्ट दिखाई दी।
मुख्य आकर्षण
- बसों और सड़कों पर भीड़ का आलम:
भोर से ही बस अड्डों और सड़कों पर यात्रियों की भारी भीड़ रही। निजी दोपहिया व चारपहिया वाहनों की आवाजाही से मार्ग गुलजार रहे। - मिष्ठान भंडारों पर रौनक:
लड्डू, बर्फी और बताशों की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ रही। मिठाई विक्रेताओं के चेहरे पर रौनक देखने लायक थी। - सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम:
प्रमुख चौराहों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में पुलिस बल तैनात किया गया। यातायात व्यवस्था सुचारू बनाए रखने के लिए विशेष पेट्रोलिंग की गई। - धार्मिक अनुष्ठानों की छटा:
बहनों ने अपने भाइयों को चौकी पर बैठाकर रोली, कुमकुम और अक्षत से तिलक किया, नारियल, पान-सुपारी और मिष्ठान का थाल सजाया और उनके दीर्घायु की मंगल कामना की।
भाइयों ने भी उपहार और वस्त्राभूषण देकर बहनों की रक्षा का वचन निभाया।
पौराणिक महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार, कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यमराज अपनी बहन यमुना के निमंत्रण पर उनके घर आए थे।
यमुना के स्नेह और सत्कार से प्रसन्न होकर यमराज ने वरदान दिया कि —
“जो भाई-बहन इस दिन यमुना में स्नान कर यम पूजा करेंगे, उन्हें दीर्घायु, समृद्धि और भयमुक्त जीवन का वरदान प्राप्त होगा।”
इसी कारण यह दिन “यम द्वितीया” या “भैय्यादूज” के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
ग्रामीण क्षेत्रों में उल्लास का माहौल
बहेड़ी ब्रह्मनान, हिमाँयुपुर, डिलारी, कालाझांडा, कमालपुरी आदि ग्रामों में पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ पर्व मनाया गया।
ग्रामीण घरों में पारिवारिक स्नेह, मिष्ठान और उपहारों के आदान-प्रदान से वातावरण भक्ति और अपनत्व से भर गया।
समाज में संदेश
भैय्यादूज केवल धार्मिक पर्व नहीं बल्कि संवेदना, सम्मान और रिश्तों की पवित्रता का प्रतीक है।
यह पर्व समाज को यह सिखाता है कि —
- रिश्तों की मजबूती भेंट या आडंबर से नहीं, स्नेह और सम्मान से होती है।
- भाई का धर्म है बहन की रक्षा और बहन का धर्म है भाई की समृद्धि की कामना।
- भारतीय संस्कृति में परिवारिक एकता ही सबसे बड़ी शक्ति है।
लोकजीवन की झलकियां
- छोटे बच्चों में उत्साह, बहनों में स्नेह और बड़ों में संतोष का संगम।
- घरों में पूजा की थालियों से उठती अगरबत्ती की सुगंध ने वातावरण को पवित्र बना दिया।
- सोशल मीडिया पर भी “भैय्यादूज” की शुभकामनाओं का दौर जारी रहा।
निष्कर्ष
भैय्यादूज ने एक बार फिर साबित किया कि भारतीय संस्कृति की जड़ें स्नेह, सेवा और संस्कारों में गहराई तक फैली हैं।
मुरादाबाद सहित पूरे प्रदेश में यह दिन परिवारिक प्रेम और सामाजिक एकता का जीवंत उदाहरण बनकर सामने आया।








