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आगरा के चिंतन-मंथन शिविर से निकला एलान – “निजीकरण का टेंडर जारी होते ही जेल भरो आंदोलन”

यूपी में बिजली निजीकरण पर संग्राम तेज

आगरा के चिंतन-मंथन शिविर से निकला एलान – “निजीकरण का टेंडर जारी होते ही जेल भरो आंदोलन”

📌 आगरा बना बिजलीकर्मियों के संघर्ष का केंद्र

उत्तर प्रदेश में बिजली निजीकरण का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। विद्युत अभियंता संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले आगरा में आयोजित “चिंतन-मंथन शिविर” ने साफ कर दिया है कि यदि सरकार ने बिजली निजीकरण का टेंडर जारी किया, तो सामूहिक जेल भरो आंदोलन की शुरुआत होगी।

 मीटिंग की खबर से भड़के अभियंता

  • शिविर के बीच यह सूचना मिली कि ऊर्जा मंत्री ने जल निगम के संगम फील्ड हॉस्टल में
    • विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविन्द कुमार
    • पॉवर कॉरपोरेशन के चेयरमैन डॉ. आशीष गोयल
    • और निजीकरण के लिए नियुक्त कंसल्टेंट ग्रांट थॉर्टन से बैठक की।

👉 इस खबर के सामने आते ही अभियंताओं में गुस्सा फूट पड़ा और माहौल उग्र हो गया।

 निजीकरण के विकल्पों को एक स्वर में खारिज

शिविर में अभियंताओं ने सर्वसम्मति से पावर कॉरपोरेशन द्वारा सुझाए गए तीनों विकल्पों को ठुकरा दिया –

  1. निजी कंपनी में नौकरी ज्वॉइन कर लें।
  2. अन्य निगमों में स्थानांतरण करा लें।
  3. स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति (VRS) ले लें।

मुख्य वक्ता शैलेन्द्र दुबे (चेयरमैन, आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन) ने इन तीनों विकल्पों को “बिजलीकर्मियों का भविष्य बर्बाद करने वाला” बताया और कहा –
“निजीकरण किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है।”

झारखंड मॉडल से चेतावनी

प्रशांत चतुर्वेदी (चेयरमैन, ईस्टर्न इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन) ने झारखंड का उदाहरण देते हुए बताया कि रांची और जमशेदपुर में फ्रेंचाइजीकरण के बाद कैसे बिजली उपभोक्ता और कर्मचारी दोनों बुरी तरह प्रभावित हुए।
उन्होंने कहा –
👉 “निजीकरण भयावह है, यूपी के अभियंताओं को पूरे जोश से संघर्ष के लिए तैयार रहना होगा।”

 निर्णायक संघर्ष का संकल्प

  • जितेंद्र सिंह गुर्जर (महासचिव, अभियंता संघ) ने कहा कि इस शिविर का मुख्य उद्देश्य अभियंताओं को संघर्ष की रणनीति से प्रशिक्षित करना है।
  • उन्होंने ऐलान किया कि डिस्कॉम स्तर पर पांच और शिविर आयोजित किए जाएंगे।
  • उनका दावा – “यदि अभियंता एकजुट हो जाएं तो यूपी में निजी घरानों को घुसने से रोका जा सकता है।”

 मंच से उठे स्वर

  • प्रभात सिंह (वरिष्ठ उपाध्यक्ष)
  • राहुल बाबू कटियार (उपाध्यक्ष)
  • जगदीश पटेल (संगठन सचिव)
  • राहुल कुमार (सहायक सचिव)

इन सभी पदाधिकारियों ने भी मंच से निजीकरण विरोधी आंदोलन को और तेज करने का आह्वान किया।

 आंदोलन की दिशा

  • अभियंताओं ने स्पष्ट किया –
    👉 “निजीकरण का टेंडर होते ही जेल भरो आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा।”
  • आंदोलन की पूरी जिम्मेदारी सरकार और प्रबंधन की होगी।
  • अभियंता संघ का संदेश – “बिजली निजीकरण से न उपभोक्ता सुरक्षित रहेगा और न ही कर्मचारी।”

 क्यों है निजीकरण का विरोध?

  • निजी कंपनियों के हाथों में बिजली वितरण जाने से उपभोक्ताओं पर अत्यधिक आर्थिक बोझ बढ़ने का अंदेशा।
  • बिजलीकर्मियों की नौकरी और भविष्य असुरक्षित हो जाएगा।
  • सरकारी नियंत्रण खत्म होने पर जनहित के बजाय लाभ कमाने की नीति लागू होगी।
  • ग्रामीण और गरीब उपभोक्ताओं के लिए बिजली और महंगी व मुश्किल हो जाएगी।

✍️ निष्कर्ष

आगरा का “चिंतन-मंथन शिविर” अब केवल एक विचार-विमर्श नहीं बल्कि संघर्ष का शंखनाद बन गया है। अभियंताओं ने साफ कर दिया है कि निजीकरण का रास्ता आसान नहीं होगा।
👉 आने वाले दिनों में यूपी में सरकार बनाम बिजली अभियंता संघ की सीधी टक्कर देखने को मिल सकती है।

 

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