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“ग्रामीण आजीविका मिशन ने रचा इतिहास, महिलाएं बनीं विकास की धुरी”

 महिला सशक्तिकरण पर यूपी सरकार का बड़ा विजन

स्वयं सहायता समूह बने बदलाव की धुरी, ग्रामीण आजीविका मिशन ने गढ़ा नया मॉडल

 हाइलाइटर (Analytical Highlighter)
  • डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का दावा – सरकार महिला सशक्तिकरण को दे रही ऐतिहासिक बढ़ावा।

  • स्वयं सहायता समूहों की ताकत – देश-विदेश में हो रहा ग्रामीण उत्पादों का विपणन।

  • आजीविका मिशन का योगदान – महिलाओं को स्वावलंबन और रोजगार से जोड़ा।

  • क्रांति की शुरुआत – स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता और पंचायत व्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी।

  • सरकार की मंशा – आर्थिक रूप से सबल बनें महिलाएं, समाज के हर क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छुएं।

 रिपोर्ट | महिला सशक्तिकरण की ओर बढ़ता उत्तर प्रदेश

लखनऊ, 8 सितम्बर 2025।
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि “महिला सशक्तिकरण और स्वावलंबन के लिए यूपी सरकार ने अभूतपूर्व और उल्लेखनीय कार्य किए हैं।” उन्होंने जोर देकर कहा कि स्वयं सहायता समूह (SHGs) आज “महिला शक्ति के केंद्र” बन चुके हैं और ग्रामीण भारत के लिए प्रेरणा स्रोत साबित हो रहे हैं।

 स्वयं सहायता समूह – गांवों की बदलती तस्वीर

  • ग्रामीण महिलाओं के हाथों से निर्मित सामग्री को सरकार देश-विदेश तक पहुंचा रही है।
  • ग्राम्य विकास विभाग और ग्रामीण आजीविका मिशन मिलकर महिलाओं को रोजगार और बाजार उपलब्ध करा रहे हैं।
  • समूहों की महिलाएं अब स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता और पंचायत व्यवस्था जैसे क्षेत्रों में भी अहम भूमिका निभा रही हैं।

सरकार की रणनीति – सबका साथ, सबका विकास

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में महिला सशक्तिकरण को ‘मिशन मोड’ में आगे बढ़ाया जा रहा है।
  • सरकार का लक्ष्य सिर्फ रोजगार नहीं, बल्कि आर्थिक आत्मनिर्भरता और सामाजिक सम्मान सुनिश्चित करना है।
  • मौर्य ने कहा – “महिलाएं जिस काम को हाथ में लेती हैं, उसमें सफलता निश्चित होती है। सरकार उनके हर कदम पर साथ खड़ी है।”

विश्लेषणात्मक दृष्टि

  1. आर्थिक सबलीकरण – महिलाओं के उत्पादों को बाजार से जोड़ना, उन्हें उद्यमी बनाना।
  2. सामाजिक बदलाव – स्वास्थ्य व शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सक्रिय भागीदारी से ग्रामीण विकास की नई दिशा।
  3. सांस्कृतिक प्रभाव – समाज में महिला नेतृत्व को स्वीकार्यता और सम्मान मिलना।
  4. दीर्घकालिक दृष्टि – SHG को केवल आर्थिक नहीं, बल्कि समाज सुधार आंदोलन के रूप में स्थापित करना।

 निष्कर्ष

उत्तर प्रदेश का महिला सशक्तिकरण मॉडल अब सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि ग्राम्य क्रांति बन चुका है। गांव-गांव में महिला स्वयं सहायता समूहों की भूमिका यह साबित करती है कि अगर समाज और सरकार मिलकर काम करें तो “नारी शक्ति” सिर्फ परिवार ही नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र निर्माण की धुरी बन सकती है।

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