खाद्य एवं औषधि प्रशासन कार्यालय ‘लावारिस’? 11:30 बजे तक अफसर नदारद, फरियादी भटकते रहे
सरकारी दफ्तर में जिम्मेदारी का संकट—खाली कुर्सियां, बंद दरवाजे और बाहर टहलते मजबूर नागरिक
विशेष रिपोर्ट | अवनीश त्यागी, डिजिटल न्यूज डेस्क
बिजनौर। जनहित और सार्वजनिक स्वास्थ्य से सीधे जुड़े खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) कार्यालय में लापरवाही का एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। आज दिन में 11:30 बजे तक कार्यालय लगभग पूरी तरह खाली मिला। हैरानी की बात यह रही कि पूरे दफ्तर में एक मात्र चपरासी मौजूद था, जबकि अधिकारी और कर्मचारी नदारद रहे।
कार्यालय के बाहर फरियादी इधर-उधर भटकते नजर आए, जिनकी शिकायतें और जरूरी कार्य समय के अभाव में अधर में लटके रहे।
खाली दफ्तर, मजबूर फरियादी
दफ्तर पहुंचे नागरिकों ने बताया कि वे सुबह से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन संबंधित अधिकारी उपलब्ध नहीं हैं। पूछताछ करने पर चपरासी ने बताया—
“साहब अभी नहीं आए हैं, आप कहें तो बुलाकर ले आता हूं।”
यह जवाब न केवल व्यवस्था की पोल खोलता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि नियत समय पर उपस्थिति जैसे बुनियादी प्रशासनिक नियमों का भी पालन नहीं हो रहा।
स्वास्थ्य सुरक्षा से जुड़ा विभाग, फिर भी लापरवाही
खाद्य एवं औषधि प्रशासन वह विभाग है, जिसकी जिम्मेदारी खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता, नकली दवाओं पर कार्रवाई और जनस्वास्थ्य की सुरक्षा से जुड़ी होती है। ऐसे अहम विभाग में अफसरों की अनुपस्थिति गंभीर सवाल खड़े करती है—
- क्या निरीक्षण समय पर हो पा रहे हैं?
- क्या शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई हो रही है?
- क्या आम नागरिकों की सेहत से जुड़े मामलों को गंभीरता से लिया जा रहा है?
कागजों में समय, हकीकत में मनमानी
सरकारी दफ्तरों के लिए निर्धारित कार्यालय समय कागजों तक ही सीमित दिखाई दे रहा है। मनमानी उपस्थिति, बिना सूचना गैरहाजिरी और जवाबदेही का अभाव अब आम बात होती जा रही है। इसका सीधा नुकसान आम जनता को उठाना पड़ रहा है, जो समय और पैसे खर्च कर दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर है।
प्रशासनिक चुप्पी, सवाल बरकरार
सबसे बड़ा सवाल यह है कि
- क्या उच्च अधिकारी इस स्थिति से अनजान हैं?
- या फिर सब कुछ जानते हुए भी अनदेखी की जा रही है?
यदि ऐसे विभागों में ही अनुशासन नहीं रहेगा, तो आम जनता का प्रशासन से विश्वास उठना स्वाभाविक है।
खाद्य एवं औषधि प्रशासन कार्यालय की यह स्थिति केवल एक दिन की कहानी नहीं, बल्कि व्यवस्थागत ढिलाई का प्रतीक बनती जा रही है। जरूरत है कि जिम्मेदार अफसर जवाबदेह बनाए जाएं, कार्यालय समय का सख्ती से पालन हो और फरियादियों को सम्मानजनक व समयबद्ध सेवा मिले—वरना ‘जनसेवा’ सिर्फ एक औपचारिक शब्द बनकर रह जाएगी।
इस संदर्भ में अपर जिलाधिकारी विनाय कुमार सिंह (प्रशासन) ने कहा कि हम तो यहां उपस्थित हैं। बाकि सब जिलाधिकारी के अधीन हैं।









