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बिजनौर में सैनिक झंडा दिवस का जोश: “सैनिक देश की सबसे बड़ी पूंजी” — DM जसजीत कौर

बिजनौर में सैनिक झंडा दिवस का जोश: “सैनिक देश की सबसे बड़ी पूंजी” — DM जसजीत कौर

सीमाओं पर तैनात जवानों को सलाम, जिलेभर में चला दान और सम्मान का अभियान

📌 पूर्व सैनिकों का सम्मान, एनCC कैडेटों का जनजागरण… बिजनौर में झंडा दिवस बना देशभक्ति का उत्सव

बिजनौर, 06 दिसंबर।
सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर जिले में देशभक्ति का माहौल चरम पर रहा। जिलाधिकारी जसजीत कौर ने सैनिकों को राष्ट्र की “सबसे बड़ी पूंजी” बताते हुए कहा कि सेना के जवान ही वह शक्ति हैं, जो नागरिकों की सुरक्षा के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर देते हैं।

उन्होंने कहा कि 1949 से हर वर्ष 7 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह दिवस युद्ध में घायल सैनिकों, वीर नारियों और शहीद परिवारों के पुनर्वास तथा कल्याण के लिए योगदान जुटाने का ऐतिहासिक अवसर है।

 DM जसजीत कौर ने क्या कहा?

  • “सैनिक राष्ट्र के प्रहरी हैं, जिनके साहस, त्याग और समर्पण का ऋण देश कभी नहीं चुका सकता।”
  • “यह दिवस सिर्फ श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि कृतज्ञता व्यक्त करने और कल्याण में भागीदारी का अवसर है।”
  • “शहीद परिवारों व वीर सैनिकों के पुनर्वास में समाज की सहभागिता बेहद महत्वपूर्ण है।”

 जिलेभर में गतिविधियाँ — प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर स्कूल कैडेट तक सक्रिय

1️⃣ पूर्व सैनिकों ने किया शीर्ष अधिकारियों से भेंट

  • जिला सैनिक कल्याण अधिकारी और पूर्व सैनिकों ने
    DM जसजीत कौर,
    SP अभिषेक झा,
    CDO रणविजय सिंह और
    SDM बिजनौर
    से मुलाकात कर झंडे पिन कराए।
  • सभी अधिकारियों ने स्वैच्छिक दान देकर सैनिक कल्याण फंड में योगदान दिया।

2️⃣ NCC कैडेटों ने संभाला मोर्चा — चांदपुर और नजीबाबाद में जन-जागरण

  • कैडेटों ने पूर्व सैनिकों के साथ घर-घर एवं बाजारों में जाकर दान संग्रह किया।
  • आर्म्ड फोर्सेज फ्लैग डे फंड के झंडे वितरित किए।
  • देशभक्ति के नारों से पूरा माहौल उत्साह एवं ऊर्जा से भर उठा।

3️⃣ नागरिकों की बड़ी भागीदारी

  • युवाओं, व्यापारियों, सामाजिक संस्थाओं ने बढ़-चढ़कर फंड में योगदान दिया।
  • झंडा दिवस को जन-आंदोलन का रूप मिलता दिखा।

 कार्यक्रम क्यों महत्वपूर्ण है? — एक विश्लेषण

  • उत्तर भारत के कई जिलों में पूर्व सैनिकों की बड़ी संख्या है, बिजनौर भी उनमें अग्रणी।
  • जिले में हर वर्ष हजारों लोग झंडा दिवस फंड के जरिए राष्ट्र सेवा में सहभागी होते हैं।
  • यह सिर्फ एक औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि सेना-सिविल समाज के रिश्ते को मजबूत करने का प्रतीक बन चुका है।
  • युवाओं में बढ़ती सेना भर्ती रुचि के लिए प्रेरक माहौल तैयार करता है।

 कार्यक्रम में मौजूद रहे

  • SP अभिषेक झा
  • CDO रणविजय सिंह
  • जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास अधिकारी एक सिंह
  • विभिन्न विभागों के अधिकारी
  • पूर्व सैनिक और NCC कैडेट्स

 निष्कर्ष

सैनिक झंडा दिवस सिर्फ एक औपचारिकता नहीं बल्कि राष्ट्र के वीरों को दिल से नमन करने का अवसर है। बिजनौर में जिस उत्साह के साथ प्रशासन, पूर्व सैनिक, कैडेट और आम नागरिक एकजुट हुए, उसने यह साबित कर दिया कि भारत के दिल में अभी भी अपने सैनिकों के लिए अपार सम्मान और कृतज्ञता है।

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