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8वें वेतन आयोग से पेंशनर्स बाहर?—अमरोहा में उभरा बड़ा असंतोष, कैंडल मार्च और धरना में उठी ‘तत्काल हस्तक्षेप’ की मांग

8वें वेतन आयोग से पेंशनर्स बाहर?—अमरोहा में उभरा बड़ा असंतोष, कैंडल मार्च और धरना में उठी ‘तत्काल हस्तक्षेप’ की मांग
प्रांतीय आह्वान पर पेंशनर्स एसोसिएशन का विरोध—“टर्म्स ऑफ़ रेफरेंस में पेंशनर्स की जगह खाली क्यों?”

जिलाधिकारी अनुपस्थित, OSD को सौंपा गया प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन

विश्लेषणात्मक रिपोर्ट : अवनीश त्यागी 

अमरोहा, 29 नवंबर 2025 (शनिवार)।
8वें वेतन आयोग के टर्म्स ऑफ़ रेफरेंस में पेंशनर्स का उल्लेख न होना अब एक राज्यव्यापी चिंता का विषय बनता जा रहा है। इसी मुद्दे को लेकर आज अमरोहा में पेंशनर्स एसोसिएशन के बैनर तले एक विस्तृत धरना सभा और कैंडल मार्च निकाला गया, जिसने मुद्दे की तत्कालता और गंभीरता को नई दिशा दी है।

दोपहर 2:00 बजे से 4:00 बजे तक शहीद पार्क कलेक्ट्रेट में शांतिपूर्ण धरना हुआ और इसके बाद 4:30 बजे एक कैंडल मार्च जिलाधिकारी कार्यालय तक पहुंचा। जिलाधिकारी की अनुपस्थिति में प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन उनके ओएसडी शैलेंद्र शर्मा और उपेंद्र त्रिवेदी को सौंपा गया।

🟥 मुद्दा क्या है?—पेंशनर्स की बढ़ती बेचैनी

धरना सभा में यह बात जोरदार तरीके से उठी कि—

❗सरकार द्वारा 8वें वेतन आयोग के लिए भेजे गए टर्म्स ऑफ़ रेफरेंस में पेंशनर्स का कोई उल्लेख नहीं है।

यह स्थिति पेंशनर्स में बड़े स्तर पर अस्पष्टता, चिंता और अविश्वास पैदा कर रही है, क्योंकि “नाम न होना” अक्सर “लाभ से बाहर रह जाना” माना जाता है।

वक्ताओं ने सवाल उठाया—

  • “क्या सरकार पेंशनर्स को 8वें वेतन आयोग की परिधि से बाहर रखना चाहती है?”
  • “अगर नहीं, तो टर्म्स ऑफ़ रेफरेंस में स्पष्ट निर्देश क्यों नहीं?”

🟩 मांगें क्या हैं?—स्पष्ट और तत्काल

धरना सभा में सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव में कहा गया—

➡ टर्म्स ऑफ़ रेफरेंस में पेंशनर्स को ‘स्पष्ट रूप से’ शामिल किया जाए।

➡ सरकार लिखित रूप से स्पष्ट करे कि पेंशनर्स को 8वें वेतन आयोग का पूरा लाभ मिलेगा।

🟦 धरना सभा में किन मुद्दों ने जोर पकड़ा?

सभा में वक्ताओं ने यह तथ्य सामने रखा कि बढ़ती महंगाई, दवाइयों के लागत और जीवनयापन के खर्च के बीच स्थिर पेंशन अब वास्तविक सहारा देने में सक्षम नहीं है।

प्रमुख वक्ताओं में शामिल थे—

सोमनाथ सिंह, जयपाल सिंह, रामपाल सिंह, खुर्शीधर, लोकेंद्र सिंह, शिवनाथ प्रजापति, रोहतास कुमार विद्यार्थी, जाबिर अली, धर्मपाल सिंह, चरण सिंह यादव, सुनील त्यागी, धर्म सिंह, गुरनाम सिंह तथा प्रदेश मंत्री गजेन्द्र पाल सिंह।

सभा का संचालन शिवेंद्र सिंह चिकारा और राजेंद्र सिंह राणा ने किया, जबकि अध्यक्ष अनूप सिंह फैसल ने ज्ञापन पढ़कर सुनाया।

🟧 राज्य से राष्ट्रीय स्तर तक—आंदोलन की रोडमैप तैयार

यह विरोध केवल अमरोहा तक सीमित नहीं रहा—
आज प्रदेश के लगभग सभी जनपदों में इसी मुद्दे पर युगपत धरने और कैंडल मार्च आयोजित हुए।

अगला कदम—

यदि सरकार सुनवाई नहीं करती है, तो

➡ 15 दिसंबर 2025 को सभी जिला मुख्यालयों पर देशव्यापी एक-दिवसीय धरना आयोजित होगा।

जिसमें पुनः प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा जाएगा।

यह कार्यक्रम संकेत देता है कि पेंशनर्स का आंदोलन धीरे-धीरे राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव डालने की दिशा में बढ़ रहा है।

🟥 विश्लेषण: मुद्दे की ‘तत्कालता’ क्यों बढ़ी?

  • वेतन आयोग का गठन हो चुका है, और यदि शुरुआती दस्तावेज़ में पेंशनर्स का उल्लेख नहीं है, तो आगे चलकर संशोधन मुश्किल हो जाता है
  • देश के करोड़ों पेंशनर्स पर इसका सीधा वित्तीय प्रभाव पड़ेगा।
  • महंगाई के दौर में स्थिर पेंशन से परिवारों का बजट पहले से अधिक तनाव में है।
  • सोशल सिक्योरिटी से जुड़ा मुद्दा होने के कारण विरोध तेजी से सार्वजनिक सहानुभूति भी हासिल कर रहा है।

🟩 निष्कर्ष

आज अमरोहा का यह धरना केवल “स्थानीय कार्यक्रम” नहीं रहा—
यह इस बात का संकेत है कि पेंशनर्स की अनदेखी राज्यव्यापी असंतोष को जन्म दे चुकी है।
समय रहते सरकार यदि स्पष्टता नहीं देती, तो 15 दिसंबर को होने वाला राष्ट्रव्यापी धरना इस मुद्दे को राष्ट्रीय बहस में बदल सकता है।

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