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आरोपों की सियासत : बिजनौर में भाजपा नेताओं के बीच बढ़ी तल्खी

आरोपों की सियासत : बिजनौर में भाजपा नेताओं के बीच बढ़ी तल्खी

रिपोर्ट : अवनीश त्यागी

बिजनौर की राजनीति इन दिनों आरोप-प्रत्यारोप के दौर से गुजर रही है। सदर भाजपा विधायक सूची मौसम चौधरी के पति ऐश्वर्य मौसम चौधरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूर्व सांसद राजा भारतेंद्र सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि सिंह उन पर और विधायक पर ₹65 करोड़ के फर्जी आरोप लगाकर बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।

मुख्य बिंदु

  • प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप : ऐश्वर्य मौसम ने कहा कि पूर्व सांसद निजी स्वार्थ के चलते सोशल मीडिया पर भ्रामक पोस्ट करवा रहे हैं।
  • 65 करोड़ का मामला : उनका कहना था कि यह आरोप पूरी तरह झूठा और सियासी है।
  • पत्रकारों के सामने कटिंग व पोस्ट : मौसम ने अखबारों की कतरनें और सोशल मीडिया पोस्ट दिखाकर विपक्षी दावों को “ओछी राजनीति” करार दिया।
  • निजी हमलों का जिक्र : उन्होंने कहा कि भारतेंद्र सिंह उनके निजी जीवन से जुड़े मामलों पर भी टिप्पणी कर रहे हैं, मगर वे संस्कारों के चलते सार्वजनिक रूप से इसका जवाब नहीं देना चाहते।
  • बाढ़ संकट की अनदेखी : विरोधियों पर पलटवार करते हुए मौसम ने पूछा कि उनके कार्यकाल में बाढ़ से बचाव के स्थायी उपाय क्यों नहीं किए गए, ब्रिटिशकालीन छाछरी मोड़ का पुल क्यों अधूरा रहा।

राजनीतिक संदेश या भटकाव?

यह प्रेस कॉन्फ्रेंस ऐसे समय की गई, जब जिले के कई हिस्से बाढ़ संकट से जूझ रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में सवाल उठ रहे हैं कि आपसी कटाक्ष और आरोप जनता की समस्याओं से ध्यान भटका सकते हैं।

  • स्थानीय लोगों का मानना है कि “इस समय समाधान की जरूरत है, बयानबाज़ी की नहीं।”
  • सिंचाई विभाग ने भी इस विवाद पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण

  • एक ही दल के भीतर संघर्ष : भाजपा के दो बड़े चेहरों के बीच यह बयानबाज़ी पार्टी की छवि पर असर डाल सकती है।
  • जनता की प्राथमिकता : बाढ़ जैसी आपदा के समय जनता अपेक्षा करती है कि नेता मिलकर समाधान खोजें, न कि मंचों से आरोप-प्रत्यारोप करें।
  • महिला नेतृत्व का मुद्दा : मौसम चौधरी ने बार-बार इस बात पर जोर दिया कि एक महिला जनप्रतिनिधि को कमज़ोर न समझा जाए। यह संदेश सीधे तौर पर विधायक सूची मौसम की साख बचाने की कोशिश है।

 

बिजनौर में यह आरोपों की राजनीति आने वाले दिनों में और गरमा सकती है। सवाल यह है कि क्या नेताओं के बीच की यह तल्खी जनता के हितों पर भारी पड़ रही है, या फिर यह सिर्फ सियासी वर्चस्व की लड़ाई है।

 

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