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लेखपाल बनाम एसडीएम: हफ्ता वसूली, ब्लैकमेलिंग के आरोप, 16 से कार्य बहिष्कार की चेतावनी

लेखपाल बनाम एसडीएम: हफ्ता वसूली, ब्लैकमेलिंग के आरोप, 16 से कार्य बहिष्कार की चेतावनी

 

  • लेखपालों का आरोप: “एसडीएम ने चेंबर बंद कर पूछा – कितनी धारा 80 आती है?”

  • मुख्य सचिव के आदेश की अनदेखी, लेखपालों पर अनावश्यक दबाव का आरोप

  • एसडीएम नगीना का पक्ष जानने के लिए फोन किया गया, लेकिन जवाब नहीं मिल

बिजनौर/नगीना से बड़ी खबर

उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ शाखा नगीना और उप जिलाधिकारी (एसडीएम) नगीना के बीच विवाद अब गंभीर मोड़ पर पहुँच गया है। गुरुवार को लेखपाल संघ ने जिलाधिकारी बिजनौर को संबोधित ज्ञापन तहसीलदार नगीना को सौंपकर हफ्ता वसूली, ब्लैकमेल और अभद्र व्यवहार जैसे संगीन आरोप लगाए।

संघ ने साफ कहा है कि अगर 15 सितंबर तक एसडीएम नगीना को नहीं हटाया गया, तो 16 सितंबर से तहसील के सभी लेखपाल कामकाज का पूर्ण बहिष्कार करेंगे।

लेखपालों के आरोप क्या हैं?

  • मुख्य सचिव के आदेश की अनदेखी: शासनादेश के अनुसार फसलों का सर्वे प्राइवेट सर्वेयर को करना था, लेकिन एसडीएम लेखपालों से एग्री-स्टैक आईडी बनाने का दबाव बना रहे हैं।
  • ज्ञापन लेने से इनकार: लेखपालों ने विरोध जताने के लिए जब ज्ञापन देना चाहा, तो एसडीएम ने लेने से ही मना कर दिया।
  • अभद्र व्यवहार: जब कार्यकारिणी उनसे मिलने जाती है, तो अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर अपमानित किया जाता है।
  • हफ्ता वसूली का आरोप: आरोप है कि एसडीएम ने चेंबर में बुलाकर गेट बंद किया और पूछा – “महीने में कितना कमाते हो, कितनी धारा 80 आती है? कुर्सी और मंदिर की व्यवस्था करो।”
  • धमकियां: लेखपालों को व्यक्तिगत फोन कर निलंबन और कार्रवाई की धमकी दी जाती है।

लेखपाल संघ की चेतावनी

संघ का कहना है कि उनके सदस्य मानसिक रूप से परेशान हैं। यदि किसी लेखपाल के साथ कोई दुर्घटना होती है, तो इसकी जिम्मेदारी पूरी तरह एसडीएम नगीना की होगी।

एसडीएम का पक्ष जानने की कोशिश

इस मामले पर संतुलित रिपोर्टिंग के लिए एसडीएम नगीना से पक्ष जानने हेतु फोन किया गया, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।
👉 इससे प्रशासन की चुप्पी और भी सवाल खड़े करती है।

विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण

यह प्रकरण केवल आरोप-प्रत्यारोप का नहीं, बल्कि प्रशासनिक प्रणाली पर भरोसे और पारदर्शिता का भी सवाल है।

  • अगर लेखपाल कामकाज का बहिष्कार करते हैं, तो किसानों के फसल सर्वे, भू-राजस्व कार्य, खतौनी/वरासत जैसे काम ठप हो सकते हैं।
  • शासनादेश और स्थानीय स्तर पर दिए गए निर्देशों में टकराव से प्रशासनिक अव्यवस्था गहराने की आशंका है।
  • आरोप सही साबित हुए तो यह प्रशासनिक भ्रष्टाचार और शक्ति के दुरुपयोग का गंभीर उदाहरण बन सकता है।

❓ मुख्य सवाल

  • क्या जिलाधिकारी बिजनौर इस मामले में त्वरित जांच और कार्रवाई करेंगे?
  • क्या 16 सितंबर से पहले समाधान निकल पाएगा?
  • लेखपालों के मानसिक तनाव और कार्य बहिष्कार का असर जनता पर कितना पड़ेगा?

👉 इस विवाद का समाधान जल्द न हुआ तो यह नगीना ही नहीं, बल्कि पूरे बिजनौर जनपद की प्रशासनिक व्यवस्था को हिला सकता है।

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