शेरकोट: नदी में डूबे दो किशोर और एक युवक, इलाके में मातम
बिजनौर जनपद के शेरकोट नगर से मंगलवार को दर्दनाक हादसे की खबर सामने आई है। नगर के मौहल्ला निकम्माशाह निवासी दो किशोर और एक युवक अचानक नदी में डूब गए। इस घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी। परिजनों में कोहराम मचा हुआ है और हर कोई स्तब्ध है।
घटना कैसे घटी
जानकारी के अनुसार, तीनों नदी किनारे गए थे। बताया जा रहा है कि नहाते समय अचानक पैर फिसल गया और वे गहरे पानी में चले गए। तेज बहाव के कारण वे वापस बाहर नहीं निकल पाए। स्थानीय लोगों ने शोर मचाया और उन्हें बचाने की कोशिश की, लेकिन गहराई और तेज धारा के कारण सफलता नहीं मिल सकी।
प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई
- हादसे की खबर मिलते ही पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंच गए।
- गोताखोरों की टीम को तुरंत बुलाया गया और नदी में तलाश शुरू की गई।
- इलाके में भीड़ इकट्ठा हो गई, जिससे हालात संभालने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात करना पड़ा।
- अब तक देर रात तक तलाशी अभियान जारी है।
परिजनों की स्थिति
हादसे की सूचना मिलते ही परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। कई लोग घटना स्थल पर बेसुध हो गए। पूरे मोहल्ले में मातम पसरा हुआ है। हर कोई यही दुआ कर रहा है कि डूबे किशोर और युवक सुरक्षित मिल जाएं।
पृष्ठभूमि: हादसों का सिलसिला
शेरकोट की यह पहली घटना नहीं है।
- इसी वर्ष मई माह में शेरकोट के ही खो नदी में 16 वर्षीय शीराज की डूबकर मौत हो चुकी है।
- प्रशासन ने उस घटना के बाद खो बैराज पर नहाने पर रोक और गश्त बढ़ाने के निर्देश दिए थे।
- इसके बावजूद इस बार फिर नदी में नहाने के दौरान ऐसी घटना हो जाना प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल खड़े करता है।
❓ बड़े सवाल
- क्या नदी किनारे चेतावनी बोर्ड और सुरक्षा कर्मी मौजूद हैं?
- गर्मी और छुट्टियों के मौसम में युवाओं को असुरक्षित जलस्त्रोतों पर जाने से रोकने के लिए प्रशासन क्या कदम उठा रहा है?
- क्या हर ब्लॉक और नगर स्तर पर लोकल रेस्क्यू टीमों का गठन होना चाहिए?
स्थानीय लोगों की राय
इलाके के कई लोगों का कहना है कि प्रशासन सिर्फ घटना के बाद सक्रिय होता है, लेकिन रोकथाम के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किए जाते। उनका कहना है कि यदि नदी किनारे सुरक्षा इंतजाम पुख्ता होते तो यह हादसा टल सकता था।
शेरकोट की इस घटना ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि नदियों और नहरों के किनारे सुरक्षा इंतज़ाम बेहद कमजोर हैं। लगातार हो रही घटनाएं बताती हैं कि सिर्फ गश्त बढ़ाने से काम नहीं चलेगा। जरूरत है—
- सुरक्षित स्नान स्थल चिन्हित करने की
- चेतावनी बोर्ड लगाने की
- बचाव दल की स्थायी तैनाती करने की
- और सबसे ज़रूरी, लोगों को जागरूक करने की।
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