बिजनौर की सियासत
पूर्व मंत्री और नगीना से सपा विधायक मनोज पारस जेल भेजे गए
5 साल पुराने जानलेवा हमले के केस में कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
बिजनौर, 09 सितम्बर 2025
बिजनौर की राजनीति में आज एक बड़ा मोड़ आया है। समाजवादी पार्टी (सपा) के कद्दावर नेता, नगीना से विधायक और पूर्व मंत्री मनोज पारस को अदालत ने जेल भेज दिया।
एमपी-एमएलए न्यायालय के अपर सिविल जज (सीनियर डिवीजन) शांतनु त्यागी की अदालत में मंगलवार को मनोज पारस ने आत्मसमर्पण किया। उनके खिलाफ लंबे समय से गैर-जमानती वारंट जारी थे।
2020 की घटना–कैसे बनी आज की सुर्खी
29 सितम्बर 2020 को शाम करीब 3:45 बजे, बिजनौर कोतवाली शहर क्षेत्र के ग्राम नांगल जाट के पास एक सनसनीखेज वारदात हुई।
- पीड़ित छतर सिंह, ग्राम रसीदपुर गाड़ी निवासी, रिश्तेदारी में जा रहे थे।
- रेलवे फाटक पर अचानक एक कार ने उनकी स्कूटी रोक दी।
- कार से उतरे कुछ लोग और उनके साथ विधायक मनोज पारस भी थे।
- छतर सिंह के मुताबिक, आरोपियों ने उन्हें गालियां दीं और जान से मारने की नीयत से चाकू सीने में घोंप दिया।
- घायल पीड़ित को मदद मिलने से पहले हमलावर फरार हो गए।
पुलिस की चुप्पी और पीड़ित की जद्दोजहद
- छतर सिंह ने पहले थाने में रिपोर्ट लिखवाने की कोशिश की, लेकिन FIR दर्ज नहीं हुई।
- उसके बाद उन्होंने पुलिस अधीक्षक को कई बार प्रार्थना पत्र दिए, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
- अंततः निराश होकर उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया।
- इस दौरान सह-आरोपी जेल जाकर जमानत पर छूटते रहे, लेकिन विधायक के खिलाफ वारंट लंबित रहे।
अदालत का बड़ा कदम
- आज विधायक मनोज पारस आधार कार्ड के साथ अदालत में आत्मसमर्पण करने पहुंचे।
- कोर्ट ने तुरंत उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।
- यह आदेश बिजनौर की राजनीति में बड़ी हलचल का कारण बन गया है।
कौन हैं मनोज पारस?
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वर्तमान पद: नगीना (SC) से विधायक, समाजवादी पार्टी।
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पूर्व पद: अखिलेश यादव सरकार में राज्य मंत्री रह चुके।
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छवि: जिले के सबसे सक्रिय और प्रभावशाली नेताओं में गिने जाते हैं।
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विवाद: चुनावी हलफनामों में कई आपराधिक मुकदमों का उल्लेख।
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राजनीतिक महत्व: नगीना और आसपास की सीटों पर इनकी पकड़ मज़बूत मानी जाती है।
विश्लेषण: क्यों है यह मामला अहम?
- सियासी असर:
- विधायक का जेल जाना सपा के लिए झटका है।
- विपक्ष इसे “कानून का राज” कहकर भुनाएगा, जबकि सपा इसे राजनीतिक साज़िश बताएगी।
- कानूनी पहलू:
- पाँच साल पुराने मामले में पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल।
- कोर्ट का सख्त रुख साफ संदेश देता है कि पद बड़ा हो या छोटा, कानून सबके लिए बराबर है।
- जनता की नज़र:
- छतर सिंह की कहानी आम आदमी की उस जद्दोजहद को सामने लाती है जहाँ पुलिस सुनवाई नहीं करती, पर अदालत न्याय दिलाती है।
हाइलाइट्स (त्वरित पढ़ें)
- नगीना के सपा विधायक और पूर्व मंत्री मनोज पारस जेल भेजे गए।
- 2020 में छतर सिंह पर चाकू से जानलेवा हमला करने का आरोप।
- पीड़ित की FIR नहीं लिखी, पुलिस पर गंभीर सवाल।
- सह-आरोपी पहले ही जमानत पर छूट चुके।
- सपा की सियासत पर बड़ा असर, विपक्ष हुआ हमलावर।
आगे की राह–क्या होगा अब ?
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आने वाले दिनों में विधायक की जमानत याचिका पर सुनवाई होगी।
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सपा का आधिकारिक बयान तय करेगा कि पार्टी इसे किस रूप में पेश करती है।
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विपक्ष पहले से ही इसे बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में है।
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बिजनौर की जनता उत्सुक है कि क्या यह मामला न्याय की जीत बनेगा या राजनीति की चाल?
यह कहानी सिर्फ एक केस की नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में कानून बनाम सत्ता की जंग का आईना है। आने वाले हफ्तों में इस पर सियासत और बयानबाजी और भी गरमाने वाली है।




1 thought on “पूर्व मंत्री और नगीना से सपा विधायक मनोज पारस जेल भेजे गए”
त्यागी जी विपक्ष की जगह पक्ष या भाजपा लिखते तो बेहतर होता