“समानान्तर सरकार चला रही है डिस्कॉम एसोसिएशन?” : बिजली कर्मियों का बड़ा आरोप

केंद्रीय मंत्री से कड़ी कार्रवाई की मांग
पूर्व विद्युत सचिव आलोक कुमार पर पद के दुरुपयोग का आरोप, करोड़ों की चंदा वसूली और निजीकरण के एजेंडे पर उठे सवाल
मुख्य हाइलाइट्स
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विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने केंद्रीय विद्युत मंत्री मनोहर लाल खट्टर को भेजा पत्र।
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आरोप: ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोसिएशन निगमों से करोड़ों का चंदा वसूल कर नीतिगत दखलंदाजी कर रही है।
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पूर्व विद्युत सचिव आलोक कुमार पर डायरेक्टर जनरल रहते पद के दुरुपयोग का गंभीर आरोप।
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मेंबरशिप के बदले अंतर्राष्ट्रीय टूर व अन्य लुभावने प्रलोभन देने का मामला उजागर।
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लखनऊ 2024 मीटिंग से निकला निजीकरण का ब्लूप्रिंट, अब नवंबर 2025 में महाराष्ट्र में अगली बैठक।
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लगातार 269वें दिन बिजलीकर्मियों का निजीकरण विरोध प्रदर्शन जारी।
पूरा मामला
उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों ने एक बार फिर निजीकरण के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए बड़ा खुलासा किया है। संघर्ष समिति का दावा है कि देशभर के विद्युत वितरण निगमों पर “ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोसिएशन” समानान्तर सरकार की तरह काम कर रहा है।
संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने आरोप लगाया कि एसोसिएशन न सिर्फ निगमों से चंदा वसूल रहा है बल्कि नीतिगत मामलों में दखल देकर निजीकरण के रास्ते खोल रहा है।
पूर्व सचिव पर सवाल
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संघर्ष समिति ने विशेष तौर पर पूर्व केंद्रीय विद्युत सचिव आलोक कुमार (सेवानिवृत्त IAS) पर निशाना साधा है।
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दावा: आलोक कुमार एसोसिएशन के पैड पर देशभर के निगमों के एमडी/अध्यक्षों को पत्र भेजकर मेंबरशिप और चंदा मांग रहे हैं।
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चौंकाने वाला तथ्य: पत्र में लिखा गया कि सदस्यता लेने पर निगमों के शीर्ष अधिकारी अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस और टूर पर भेजे जाएंगे, खर्चा एसोसिएशन उठाएगा।
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समिति का सवाल: क्या इस प्रकार के प्रलोभन से निर्णय प्रक्रिया प्रभावित नहीं होगी?
करोड़ों की वसूली और 10 सुविधाओं का प्रलोभन
पत्र के मुताबिक मेंबरशिप लेने पर निगमों को 10 तरह की सुविधाएं गिनाई गई हैं –
- विधिक सहायता
- प्रशिक्षण कार्यक्रम
- शोध अध्ययन
- विशेषज्ञ प्रेजेंटेशन
- खरीद-फरोख्त आदेशों का आदान-प्रदान
- टैरिफ संबंधी परामर्श
- और अन्य नीतिगत सहयोग
संघर्ष समिति का कहना है कि यह पूर्णतः संविधानेतर हस्तक्षेप है और हितों का टकराव स्पष्ट है।
निजीकरण का ब्लूप्रिंट
संघर्ष समिति ने यह भी दावा किया कि –
- 14-15 नवंबर 2024 को लखनऊ में हुई मीटिंग से ही निजीकरण का रोडमैप बना।
- इस मीटिंग को टाटा पावर, रिलायंस पावर, गोयनका पावर जैसी बड़ी निजी कंपनियों ने स्पॉन्सर किया।
- उसी बैठक में महाराष्ट्र विद्युत निगम प्रमुख लोकेश चंद्र को अध्यक्ष, यूपी पावर कॉर्पोरेशन प्रमुख आशीष गोयल को महामंत्री और आलोक कुमार को डायरेक्टर जनरल नियुक्त किया गया।
- समिति का आरोप: उसी बैठक के बाद पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत निगमों का निजीकरण सामने आया।
- अब अगली बैठक नवंबर 2025 में महाराष्ट्र में होने जा रही है, जहां अगला निजीकरण एजेंडा तय होगा।
269वें दिन भी जारी विरोध
प्रदेशभर के बिजली कर्मचारी पिछले 269 दिनों से लगातार निजीकरण विरोधी आंदोलन चला रहे हैं।
- सभी जिलों और परियोजनाओं पर धरना-प्रदर्शन जारी।
- कर्मचारियों का कहना है कि यदि केंद्र सरकार ने तुरंत हस्तक्षेप न किया तो आंदोलन और तेज होगा।
संघर्ष समिति के आरोप ऊर्जा क्षेत्र में गहरे हितों के टकराव और निजीकरण के दबाव की ओर इशारा करते हैं।
अब देखना होगा कि केंद्रीय विद्युत मंत्री मनोहर लाल खट्टर इस पर क्या रुख अपनाते हैं –
क्या वाकई डिस्कॉम एसोसिएशन पर नकेल कसी जाएगी या निजीकरण का एजेंडा और आगे बढ़ेगा?
आपके विचार?
क्या डिस्कॉम एसोसिएशन वाकई समानान्तर सरकार चला रहा है या यह केवल बिजली कर्मियों का आंदोलनकारी नैरेटिव है?












