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वन विभाग बनाम किसान: खादर से तहसील तक उठा आक्रोश, भाकियू की पंचायत में प्रशासन को घेरा

वन विभाग बनाम किसान: खादर से तहसील तक उठा आक्रोश, भाकियू की पंचायत में प्रशासन को घेरा

छोटे किसानों पर मुकदमे, बड़े भूमाफिया बेखौफ!
गुलदार आतंक, दाखिल-खारिज में देरी और आवारा पशुओं ने बढ़ाई किसानों की मुश्किलें

बिजनौर | डिजिटल डेस्क
खेतों में फसल और दिलों में डर—कुछ इसी हालात में जी रहा है बिजनौर का किसान। वन विभाग की कथित कार्रवाई, गुलदारों के बढ़ते हमले, तहसील में लटकी दाखिल-खारिज फाइलें और आवारा पशुओं की मार के खिलाफ भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने सदर तहसील पर तहसील स्तरीय मासिक पंचायत कर प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया।

खादर क्षेत्र बना संघर्ष का केंद्र

तहसील अध्यक्ष कमल सिंह की अध्यक्षता में हुई पंचायत में किसानों का गुस्सा साफ नजर आया। ब्लॉक अध्यक्ष सदर बिजनौर विजय चौधरी ने आरोप लगाया कि रावली–ब्रह्मपुरी खादर क्षेत्र में वन विभाग लगातार छोटे किसानों को निशाना बना रहा है।
उन्होंने कहा, “वास्तविक कब्जा बड़े भूमाफिया कर रहे हैं, जो वन विभाग की जमीन जोड़कर गेहूं बो रहे हैं, लेकिन कार्रवाई गरीब और छोटे किसानों पर की जा रही है। यह खुला अन्याय है।”

गुलदार आतंक: खेत से घर तक दहशत

पंचायत में ब्लॉक अध्यक्ष हालदार धर्मेंद्र कुमार ने गुलदारों के बढ़ते आतंक को गंभीर मुद्दा बताया। किसानों का कहना है कि खेतों में काम करना जोखिम भरा हो गया है और गांवों में भय का माहौल है। उन्होंने गुलदारों को शीघ्र पकड़वाने और स्थायी समाधान की मांग की।

तहसील में अटकी फाइलें, बढ़ती परेशानी

दाखिल-खारिज की लंबित प्रक्रिया को लेकर भी किसानों में नाराजगी दिखी। पंचायत में मांग उठी कि तहसील स्तर पर वर्षों से लंबित मामलों का त्वरित निस्तारण किया जाए, ताकि किसानों को अपनी जमीन से जुड़े अधिकारों के लिए भटकना न पड़े।

आवारा पशु: फसल से ज्यादा चौकीदारी

आवारा पशुओं की समस्या को लेकर किसानों ने कहा कि रात-दिन फसलों की रखवाली करनी पड़ रही है। खेतों में नुकसान बढ़ रहा है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर ठोस कार्रवाई नजर नहीं आ रही।

प्रशासन को सौंपा ज्ञापन, चेतावनी भी

इन सभी समस्याओं को लेकर अधिकारियों के नाम तहसीलदार सदर को ज्ञापन सौंपा गया। किसान नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि समस्याओं का समाधान शीघ्र नहीं हुआ तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

प्रदेश नेतृत्व की मौजूदगी से बढ़ा दबाव

पंचायत में प्रदेश महासचिव ठाकुर राम अवतार सिंह, धर्मेंद्र राणा, अंकुर चौधरी, पंकज शेरावत, विकार अहमद, लोकेश कुमार, पंकज, मनोज कुमार, मुनिदेव, संदीप कुमार, युवा जिला अध्यक्ष मनप्रीत संधू, बृजेश कुमार सहित बड़ी संख्या में किसान मौजूद रहे।

विश्लेषण: किसान बनाम व्यवस्था की जंग

यह पंचायत सिर्फ शिकायतों का मंच नहीं थी, बल्कि यह संकेत भी है कि अगर वन विभाग की कार्रवाई में पारदर्शिता, गुलदार आतंक पर नियंत्रण और तहसील प्रशासन की कार्यशैली में सुधार नहीं हुआ, तो आने वाले दिनों में किसान आंदोलन और उग्र हो सकता है। सवाल साफ है—क्या कार्रवाई हमेशा कमजोर पर ही होगी, या बड़े दोषियों तक भी पहुंचेगी?

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