नजीबाबाद पटाखा फैक्टरी विस्फोट: सिस्टम की बड़ी चूक या लापरवाही का नतीजा?

मजदूर का सिर धड़ से अलग, फैक्टरी में मचा कोहराम — एसपी अभिषेक झा मौके पर पहुंचे, लाइसेंस निरस्तीकरण के संकेत
बिजनौर | अवनीश त्यागी,डिजिटल न्यूज़ डेस्क
बिजनौर जनपद के नजीबाबाद क्षेत्र में मंगलवार सुबह हुआ पटाखा फैक्टरी विस्फोट अब सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि प्रशासनिक जिम्मेदारी, औद्योगिक सुरक्षा और मानव जीवन की अनदेखी का बड़ा सवाल बन गया है। जलालाबाद क्षेत्र में स्थित शिफा फायर वर्क्स पटाखा फैक्टरी में हुए भीषण धमाके ने एक मजदूर की जान ले ली, जबकि जिला पुलिस अधीक्षक स्वयं मौके पर पहुंचकर हालात की गंभीरता को देखकर सख्त रुख अपनाते नजर आए।
आम के पेड़ के नीचे बना मौत का अड्डा
मंगलवार सुबह करीब 10:30 बजे फैक्टरी परिसर में आम के पेड़ के नीचे गंधक और पोटाश को छानने का कार्य किया जा रहा था। अचानक हुए तेज विस्फोट ने पल भर में सब कुछ तबाह कर दिया। धमाके की आवाज इतनी तेज थी कि आसपास के इलाके में दहशत फैल गई।
धमाका इतना भयावह कि शरीर के उड़ गए टुकड़े
इस विस्फोट की चपेट में आकर पाडला बिजनौर निवासी सुधीर कुमार (35 वर्ष) की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। विस्फोट की तीव्रता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मजदूर का सिर और ऊपरी धड़ शरीर से अलग होकर दूर जा गिरा, जबकि दांत और शरीर के अन्य हिस्से घटनास्थल पर बिखर गए। यह मंजर देखकर वहां मौजूद मजदूरों और स्थानीय लोगों के रोंगटे खड़े हो गए।
40 से अधिक मजदूर कर रहे थे काम, मची अफरा-तफरी
हादसे के वक्त फैक्टरी में कुछ दूरी पर करीब 40 मजदूर, जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं, कार्यरत थे। विस्फोट होते ही फैक्टरी परिसर में भगदड़ मच गई। मजदूर जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। गनीमत रही कि अन्य मजदूर इस भीषण हादसे में सुरक्षित बच गए, नहीं तो नुकसान और भी बड़ा हो सकता था।
एसपी अभिषेक झा पहुंचे मौके पर, दिए सख्त निर्देश
घटना की सूचना मिलते ही जिला पुलिस अधीक्षक अभिषेक झा तुरंत मौके पर पहुंचे और घटनास्थल का विस्तृत निरीक्षण किया। उन्होंने विस्फोट स्थल, फैक्टरी परिसर और कार्यप्रणाली का जायजा लिया।
एसपी ने संबंधित पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिए कि—
- पूरे मामले की गहन और निष्पक्ष जांच की जाए
- फैक्टरी के लाइसेंस, सुरक्षा मानक और संचालन प्रक्रिया की विस्तार से पड़ताल की जाए
- यदि जांच में गंभीर लापरवाही या नियमों का उल्लंघन पाया जाए तो लाइसेंस निरस्तीकरण के लिए आख्या प्रेषित की जाए
एसपी की सख्ती के बाद फैक्टरी संचालकों में हड़कंप मचा हुआ है।
सुरक्षा मानकों की खुली पोल
यह हादसा एक बार फिर पटाखा फैक्ट्रियों में सुरक्षा नियमों की अनदेखी को उजागर करता है। सवाल यह है कि—
- खतरनाक रसायनों के साथ खुले में काम क्यों कराया जा रहा था?
- मजदूरों को सुरक्षा उपकरण और प्रशिक्षण क्यों नहीं दिया गया?
- निरीक्षण व्यवस्था इतनी कमजोर क्यों है?
स्थानीय लोगों का आरोप है कि फैक्टरी लंबे समय से संचालित हो रही थी, लेकिन सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
प्रशासनिक कार्रवाई और आगे की जांच
पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। फैक्टरी को फिलहाल जांच के दायरे में लिया गया है। श्रम विभाग, विस्फोटक विभाग और स्थानीय प्रशासन की संयुक्त जांच की तैयारी है।
विश्लेषण: क्या मजदूरों की जान सबसे सस्ती है?
पटाखा फैक्ट्रियों में बार-बार हो रहे हादसे यह साबित करते हैं कि लाभ के आगे मजदूरों की सुरक्षा को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है।
जब तक दोषियों पर सख्त कार्रवाई और लाइसेंस निरस्तीकरण जैसे ठोस कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक ऐसे हादसे रुकना मुश्किल है।
🚨 यह हादसा चेतावनी है—अब कार्रवाई नहीं हुई, तो अगली खबर फिर किसी और मजदूर की जान की कीमत पर लिखी जाएगी।











