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Pensioners Protest Breaking: आठवें वेतन आयोग के खिलाफ पेंशनरों का बिगुल, बिजनौर कलेक्ट्रेट पर दिखी एकजुटता

Pensioners Protest Breaking: आठवें वेतन आयोग के खिलाफ पेंशनरों का बिगुल, बिजनौर कलेक्ट्रेट पर दिखी एकजुटता

📌 Finance Bill 2025 पर तीखा विरोध, “तारीख के आधार पर भेदभाव मंजूर नहीं” — केंद्र सरकार को चेतावनी

✍️ रिपोर्ट: अवनीश त्यागी | बिजनौर

बिजनौर से बड़ी खबर।
आठवें वेतन आयोग के नोटिफिकेशन और वित्त विधेयक 2025 में पेंशनरों के साथ किए जा रहे कथित भेदभाव के खिलाफ सोमवार को बिजनौर कलेक्ट्रेट एक बार फिर आंदोलन का केंद्र बन गया। अखिल भारतीय राज्य पेंशनर फेडरेशन के राष्ट्रीय आह्वान पर सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं शिक्षक समन्वय समिति उत्तर प्रदेश तथा सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं पेंशनर्स एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के संयुक्त बैनर तले सैकड़ों पेंशनरों ने जोरदार धरना प्रदर्शन कर केंद्र सरकार को साफ संदेश दिया—“पेंशन कोई दया नहीं, अधिकार है।”

धरना प्रातः 10 बजे से अपराह्न 1 बजे तक चला। कार्यक्रम की अध्यक्षता शिवध्यान सिंह (जिला अध्यक्ष) ने की, जबकि संचालन योगेश्वर (जिला मंत्री) एवं देशराज सिंह (जिला संरक्षक, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद) ने संयुक्त रूप से किया।

पीएम के नाम ज्ञापन, तहसीलदार को सौंपा गया

धरना समाप्ति के बाद पेंशनरों की प्रमुख मांगों से जुड़ा ज्ञापन माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार को संबोधित करते हुए तहसीलदार सार्थक चावला को सौंपा गया। ज्ञापन में वित्त विधेयक 2025 और आठवें वेतन आयोग के नोटिफिकेशन को पेंशन विरोधी बताते हुए तत्काल संशोधन की मांग की गई।

“तिथि के आधार पर भेदभाव असंवैधानिक” — शिवध्यान सिंह

अपने अध्यक्षीय संबोधन में शिवध्यान सिंह ने कहा कि

“वित्त विधेयक 2025 में पेंशनरों को तिथि के आधार पर बांटना सरासर अन्याय है। पूर्व के सभी वेतन आयोगों में कर्मचारी और पेंशनरों को साथ रखा गया, लेकिन आठवें वेतन आयोग का स्वरूप पेंशनरों को हानि पहुंचाने वाला प्रतीत होता है।”

उन्होंने संसद में माननीय अश्विनी वैष्णव के उस बयान का भी उल्लेख किया, जिसमें पेंशनरों के हितों की रक्षा का आश्वासन दिया गया था।

आठवें वेतन आयोग में पेंशन पुनरीक्षण की मांग

जिला अध्यक्ष शिक्षक महासंघ गिरिराज सिंह ने कहा कि आठवें वेतन आयोग के Terms of Reference में पेंशन पुनरीक्षण और अन्य पेंशनरी लाभों को स्पष्ट रूप से शामिल किया जाना चाहिए। साथ ही पेंशन को गैर-अंशदाई एवं गैर-वित्तपोषित बताने वाले क्लॉज एफ-3 को हटाने की पुरजोर मांग की गई।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला

वरिष्ठ उपाध्यक्ष दिग्विजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक डी.एस. नाकरा बनाम भारत सरकार (1982) फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि

“पेंशन कोई कृपा नहीं, बल्कि सेवा काल का लंबित वेतन है। तिथि के आधार पर पेंशनरों में भेदभाव संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।”

बड़े आंदोलन की चेतावनी

संप्रेक्षक एस.के. मिश्रा ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि पेंशनर्स की अनदेखी जारी रही तो देशव्यापी आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

“यह अन्याय अब सहन नहीं किया जाएगा,” उन्होंने दो टूक कहा।

भारी संख्या में पेंशनर्स की मौजूदगी

धरना प्रदर्शन को बलवीर सिंह, ब्रजवीर सिंह, विजेंद्र सिंह राठी, महेंद्र सिंह मलिक, ओम सिंह, ओमवीर सिंह मलिक, इरफानुद्दीन, ओम प्रकाश शर्मा, अशोक कुमार शर्मा, रमा चौधरी, आर.के. वर्मा सहित अनेक वक्ताओं ने संबोधित किया। बड़ी संख्या में उपस्थित पेंशनर्स ने एकजुट होकर केंद्र सरकार से पेंशन विरोधी प्रावधानों को वापस लेने की मांग की।

विश्लेषण: क्यों अहम है यह आंदोलन?

आठवें वेतन आयोग से पहले पेंशनरों का यह आंदोलन न केवल उनकी आर्थिक सुरक्षा से जुड़ा है, बल्कि भविष्य की पेंशन नीति की दिशा भी तय कर सकता है। यदि सरकार ने समय रहते सकारात्मक कदम नहीं उठाया, तो यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा राजनीतिक और सामाजिक आंदोलन बन सकता है।

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