जनपथ हज़रतगंज में गूंजा लोकतांत्रिक समाजवाद का उद्घोष
चंद्रशेखर के विचारों ने फिर दी सत्ता-केन्द्रित राजनीति को चुनौती
लखनऊ | अवनीश त्यागी की स्पेशल रिपोर्ट
लखनऊ के राजनीतिक और वैचारिक केंद्र जनपथ, हज़रतगंज में आज एक ऐसा मंच सजा, जहां सत्ता की नहीं बल्कि सिद्धांतों की राजनीति पर खुलकर चर्चा हुई। देश के पूर्व प्रधानमंत्री एवं समाजवादी आंदोलन के प्रखर स्तंभ स्वर्गीय चंद्रशेखर जी की लोकतांत्रिक समाजवादी विचारधारा पर आयोजित इस परिचर्चा ने मौजूदा राजनीतिक हालात पर तीखे सवाल खड़े कर दिए।
कार्यक्रम में विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक आंदोलनों से जुड़े नेताओं ने एक स्वर में कहा—
“चंद्रशेखर जी आज होते, तो लोकतंत्र के पक्ष में सबसे बुलंद आवाज़ होते।”
‘सत्ता नहीं, संघर्ष ही पहचान’ चंद्रशेखर विचारधारा पर वैचारिक मंथन
परिचर्चा में जनता दल सेक्युलर के प्रदेश अध्यक्ष ओंकार सिंह, राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय सचिव विजय कुमार लाल श्रीवास्तव, भारत जागृति अभियान के राष्ट्रीय संयोजक योगेंद्र उपाध्याय, वरिष्ठ समाजसेवी अखिलेश वासुदेवा, आर.पी. निषाद (प्रदेश सचिव, JDS) तथा समतावादी चेतना अभियान, लखनऊ के संयोजक ए.के. श्रीवास्तव ने भाग लिया।
वक्ताओं ने कहा कि चंद्रशेखर जी की राजनीति चुनावी समीकरणों से नहीं, जनसंघर्षों से जन्मी थी। उन्होंने सत्ता में रहते हुए भी सत्ता के दबावों को नकारा और लोकतंत्र की आत्मा की रक्षा की।
आज के दौर में क्यों और ज़रूरी हो गए हैं चंद्रशेखर ?
ओंकार सिंह ने दो टूक कहा—
“जब राजनीति व्यक्तिवाद और अवसरवाद की गिरफ्त में है, तब चंद्रशेखर जी की निर्भीक, सादगीपूर्ण और सिद्धांतनिष्ठ राजनीति सबसे बड़ा विकल्प बनकर सामने आती है।”
विजय कुमार लाल श्रीवास्तव ने कहा—
“चंद्रशेखर जी सत्ता में रहकर भी सत्ता से टकराने का साहस रखते थे। आज की राजनीति में यही साहस सबसे ज़्यादा गायब है।”
लोकतंत्र पर संकट, समाजवाद ही समाधान — वक्ताओं की चेतावनी
परिचर्चा के दौरान वक्ताओं ने मौजूदा राजनीतिक हालात पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उनका कहना था कि—
- लोकतंत्र औपचारिकता बनता जा रहा है
- सामाजिक और आर्थिक असमानता तेजी से बढ़ रही है
- जनप्रतिनिधियों और जनता के बीच दूरी खतरनाक स्तर पर पहुंच रही है
योगेंद्र उपाध्याय ने कहा—
“लोकतांत्रिक समाजवाद केवल विचार नहीं, यह शोषण के खिलाफ एक सतत संघर्ष है।”
युवाओं से आह्वान: राजनीति को फिर से विचारों से जोड़ें
समाजसेवी अखिलेश वासुदेवा और आर.पी. निषाद ने युवाओं से अपील की कि वे राजनीति को केवल सत्ता प्राप्ति का माध्यम न मानें, बल्कि समाज परिवर्तन का औजार बनाएं।
उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर जी का जीवन युवाओं के लिए साहस, ईमानदारी और वैचारिक दृढ़ता की पाठशाला है।
जनपथ से उठा वैचारिक संदेश — ‘लोकतंत्र बचेगा, तभी देश बचेगा’
परिचर्चा के समापन पर सभी संगठनों ने संयुक्त रूप से संकल्प लिया कि—
- लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए निरंतर संवाद किया जाएगा
- समाजवादी विचारधारा को जन-जन तक पहुँचाया जाएगा
- सत्ता-केन्द्रित राजनीति के विकल्प के रूप में विचार-केन्द्रित राजनीति को मजबूत किया जाएगा
जनपथ, हज़रतगंज से उठा यह वैचारिक स्वर साफ संकेत दे गया—
चंद्रशेखर जी की राजनीति इतिहास नहीं, आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है।












