Target Tv Live

खनन माफियाओं पर एनजीटी की गाज: यूपी में 268 हेक्टेयर जमीन लूटी, 83,156 फर्जी परिवहन ऑपरेशन उजागर

 यूपी के 11 जिलों में ‘खनिज महाघोटाला’!
एम्बुलेंस, स्कूटर, ई-रिक्शा से मौरम ढुलाई दिखाकर 1 करोड़ किमी का खेल — एनजीटी का बड़ा एक्शन

खनन माफियाओं पर एनजीटी की गाज: यूपी में 268 हेक्टेयर जमीन लूटी, 83,156 फर्जी परिवहन ऑपरेशन उजागर

 विशेष विश्लेषण 

“एम्बुलेंस में मौरम, स्कूटर में खनिज! यूपी के 11 जिलों में खनन की काली सच्चाई उजागर — एनजीटी सख्त”

सीएजी रिपोर्ट के चौंकाने वाले खुलासे के बाद एनजीटी ने खनन माफियाओं व अधिकारियों पर कसा शिकंजा; बांदा के सांडी–77 पर संयुक्त जांच समिति गठित

📌 हाईलाइट्स (एक नजर में):

  • 83,156 फर्जी परिवहन परिचालन

  • 268.91 हेक्टेयर में अवैध मौरम खनन

  • एम्बुलेंस, स्कूटर, रोड रोलर, ई-रिक्शा से दिखाई गई रेत ढुलाई!

  • सिर्फ बांदा में 45.48 हेक्टेयर अवैध खनन

  • 1 करोड़ किमी परिवहन — चांद की दूरी के बराबर!

  • एनजीटी ने 6 हफ्ते में रिपोर्ट तलब की, अगली सुनवाई 25 फरवरी 2026

बिग स्टोरी — यूपी का खनिज ‘ब्लैक इंडस्ट्री’ मॉडल उजागर

उत्तरप्रदेश में अवैध मौरम खनन सिर्फ गैरकानूनी व्यवसाय नहीं, बल्कि एक संगठित ‘खनन माफिया सिस्टम’ है।
सीएजी की रिपोर्ट और एनजीटी की सख्ती ने इसे पूरी तरह बेनकाब कर दिया है।

याचिकाकर्ता आशीष सागर दीक्षित की याचिका पर 3 दिसंबर को हुई सुनवाई में एनजीटी ने 16 जिलों में खनन घोटाले का कच्चा चिट्ठा खोलकर रख दिया।

चौंकाने वाला खुलासा — फर्जी मौरम ढुलाई का ‘महाजाल’

जिन वाहनों से रेत ढुलाई दिखाई गई, वे खुद खनिज उठा ही नहीं सकते!

फर्जी ढुलाई में शामिल वाहन:
  • 407 एम्बुलेंस (मनुष्य व पशु)
  • 1621 बुलडोजर व रोड रोलर
  • 3625 बसें
  • 216 क्रेन/फोर्क लिफ्ट
  • 213 कृषि निजी वाहन
  • 29,525 ई-रिक्शा व थ्री व्हीलर
  • 34,742 स्कूटर/बाइक/वैन
  • 12,763 मोटरकार/टैक्सी

यही वाहन एमएम–11 रसीदों में रेत ढोते दिखाए गए!

‘चांद तक की दूरी’ का फर्जी परिवहन!

सीएजी के अनुसार खनन माफियाओं ने दावा किया कि रेत ढुलाई में
👉 कुल 1 करोड़ किलोमीटर की दूरी तय की गई।
यह दूरी पृथ्वी से चांद तक की दूरी के बराबर है!

यह अकेले यूपी में खनिज चोरी का सबसे बड़ा दस्तावेजी सबूत है।

किस जिले में कितना अवैध खनन?

अवैध खनन (हेक्टेयर में) —

  • हमीरपुर — 62.91 (11 केस)
  • बांदा — 45.48 (6 केस)
  • चित्रकूट — 34.29 (4 केस)
  • फतेहपुर — 32.42 (5 केस)
  • सोनभद्र — 30.10
  • प्रयागराज — 22.09 (5 केस)
  • गौतमबुद्ध नगर — 15.60 (2 केस)
  • कौशाम्बी — 15.27 (5 केस)
  • कानपुर देहात — 1.79

कुल: 45 केस | 268.91 हेक्टेयर | यूपी में खनन की खुली लूट

 बुंदेलखंड में ‘खनन साम्राज्य’: नदी तल का सफाया

बांदा और आसपास के क्षेत्र में नदियों को भारी मशीनों से तालाब जैसी गहराई तक खोदा जा रहा है।
12 सक्रिय खदानें, जल्द ही 26 तक पहुंचने वाली।

सबसे विवादित खदानें:
  • सांडी–77 (बांदा)
  • मरौली–5
  • सादिक–मदनपुर
  • अमलोर
  • रिसौरा
  • मर्का–4
  • सिन्धनकला
  • चरका
ग्राउंड रियलिटी —
  • रात में प्रतिबंधित खनन
  • ओवरलोड ट्रक
  • बिना रॉयल्टी (NR) ढुलाई
  • किसानों की निजी भूमि में अवैध रास्ता
  • ग्रामसभा भूमि का दोहन
  • पोकलैंड मशीनों का धड़ल्ले से उपयोग

नदियों पर संकट: केन, यमुना, मंदाकिनी खतरे में

अवैध खनन से—

  • नदी तल 10–15 फीट तक खोद दिया गया
  • जलधारा कमजोर
  • बाढ़ क्षेत्र बढ़ा
  • जैव विविधता खत्म
  • पानी का स्तर गिरा

बांदा व आसपास की नदियां ‘मृत्यशैया’ पर हैं।

नियमों की खुली धज्जियां

खनिज न्यास फाउंडेशन के नियम:
  • प्रति एकड़ 200 पौधे लगाने अनिवार्य
  • कुल आमदनी का 5% गांव/पर्यावरण के लिए
  • 3 मीटर से अधिक खनन प्रतिबंधित
  • पोकलैंड/अर्थ मूवर पूरी तरह प्रतिबंधित

👉 लेकिन किसी भी खदान ने एक भी शर्त का पालन नहीं किया।

एनजीटी की बड़ी कार्रवाई — संयुक्त जांच समिति गठित

जांच में शामिल:

  • प्रिंसिपल सेक्रेटरी, पर्यावरण
  • सीपीसीबी
  • यूपीपीसीबी
  • प्रमुख सचिव वन विभाग
  • डीएम बांदा
  • सांडी–77 के संचालक (हिमांशु मीणा)
  • न्यू यूरेका माइन्स एंड मिनरल्स

6 हफ्ते में रिपोर्ट व हलफनामा
📅 अगली सुनवाई: 25 फरवरी 2026

❓ सबसे बड़ा सवाल — क्या माफियाओं पर लगेगी लगाम?

  • क्या सांडी–77, मरौली–5, अमलोर, सादिक–मदनपुर जैसी खदानों पर नकेल कसेगी?
  • क्या 83,156 फर्जी परिवहन के खिलाफ FIR होगी?
  • क्या 268.91 हेक्टेयर अवैध खनन का हर्जाना वसूला जाएगा?
  • क्या राजस्व चोरी की रिकवरी होगी?
  • क्या सिस्टम–माफिया गठजोड़ टूटेगा?
या फिर यह मामला भी समय के रेगिस्तान में दफन हो जाएगा?

🟢 निष्कर्ष — यह सिर्फ खनन नहीं, ‘पर्यावरण नरसंहार’ है

सीएजी रिपोर्ट और एनजीटी आदेश यह साबित करते हैं कि यूपी में खनन अब प्रशासनिक संरक्षण से पोषित एक काले उद्योग का रूप ले चुका है।
पर्यावरण, नदियां, गांव और जीवन — सब दांव पर हैं।

अब देश की निगाहें एनजीटी की अगली सुनवाई पर टिकी है

Leave a Comment

यह भी पढ़ें