शीतलहर से बचाव की तैयारियों की समीक्षा: कलेक्ट्रेट सभागार में हुई उच्च स्तरीय बैठक
बिजनौर, 06 नवंबर 2025 — जिलाधिकारी जसजीत कौर के निर्देशों के तहत अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) वान्या सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार शाम 4 बजे कलेक्ट्रेट सभागार में शीतलहर से बचाव को लेकर महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में स्वास्थ्य, पशुपालन, लोक निर्माण विभाग सहित सभी संबंधित विभागों की तैयारियों की विस्तार से समीक्षा की गई।
अपर जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि शीतलहर को ध्यान में रखते हुए विभागीय स्तर पर शेष सभी तैयारियां तुरंत पूरी की जाएं, ताकि आमजन को ठंड से किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े। उन्होंने कहा कि शीतलहर के दौरान जन सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
एडीएम ने जारी की व्यापक एडवाइजरी
बैठक में शीतलहर से बचाव हेतु अनेक महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए गए—
- ट्रॉली, ट्रक, बैलगाड़ी जैसे वाहनों पर क्षमता से अधिक गन्ना या भूसा न लादें।
- ठंड और धुंध के दौरान वाहनों में फॉग लाइट का अनिवार्य रूप से प्रयोग करें।
- भारी वाहनों के चालक पीछे से आती एम्बुलेंस को प्राथमिकता से रास्ता दें।
- दोपहिया वाहन चालक बहुत आवश्यक होने पर ही निकलें और गर्म कपड़े, दस्ताने, हेलमेट एवं चश्मा अवश्य पहनें।
घरेलू उपकरणों के प्रयोग में सावधानी की अपील
एडीएम ने कहा कि कोयले की अंगीठी, मिट्टी के तेल के चूल्हे या हीटर का प्रयोग करते समय कमरे में वेंटिलेशन अवश्य रखें।
ठंड लगने के लक्षण—हाथ-पैर सुन्न होना, उंगलियों का नीला पड़ना—दिखने पर तुरंत अस्पताल से संपर्क करने की सलाह दी।
हाइपोथर्मिया के लक्षण जैसे याददाश्त कमजोर पड़ना, अत्यधिक ठिठुरन, तुतलाना या भ्रम की स्थिति आने पर तुरंत चिकित्सकीय सहायता लेने की अपील की गई।
पशुपालकों को विशेष निर्देश
पशुओं में ठंड के मौसम में थनैला, मिल्क फीवर और निमोनिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
- पशुओं को नियमित रूप से चिकित्सक को दिखाने और रात में खुले स्थान पर न रखने की सलाह दी गई।
- ठंड के दौरान गुड़ और कैल्शियम टॉनिक पिलाने तथा जूट की बोरी या पुराने कंबल से ढकने की हिदायत दी गई।
- गर्भवती पशुओं के पास अलाव जलाने पर जोर दिया गया, लेकिन इसे सुरक्षित दूरी पर रखने को कहा गया।
फसलों को पाला और शीतलहर से बचाने के उपाय
एडीएम ने बताया कि पाला व शीतलहर से काला रतुआ, सफेद रतुआ, पछेती झुलसा जैसी बीमारियां फसलों को प्रभावित करती हैं।
उन्होंने किसानों को ठंड प्रतिरोधी किस्मों की खेती करने तथा नर्सरी व युवा पौधों को प्लास्टिक या छप्पर से ढककर सुरक्षित रखने की सलाह दी।
बैठक में मुख्य चिकित्साधिकारी कौशलेन्द्र सिंह, सभी उप जिलाधिकारी, जिला आपदा विशेषज्ञ प्रशांत श्रीवास्तव सहित पशुपालन, पीडब्ल्यूडी, परिवहन व अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।












