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‘लॉकअप से लग्ज़री तक’: जेल में बैठा था सरगना, बाहर फैला था नशे का जाल!

“जेल से चला नशे का साम्राज्य — माफिया राजेश मिश्रा के घर छापा, 3 करोड़ की बरामदगी से हिली तस्करी की दुनिया!”

📍 मानिकपुर (प्रतापगढ़) से अद्वैत दशरथ तिवारी की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

‘लॉकअप से लग्ज़री तक’: जेल में बैठा था सरगना, बाहर फैला था नशे का जाल!

प्रतापगढ़ पुलिस की शनिवार की सुबह, एक “ब्लैक मनी” की दीवार तोड़ने वाली साबित हुई।
थाना मानिकपुर पुलिस ने जेल में बंद कुख्यात तस्कर राजेश मिश्रा के घर पर ऐसा छापा मारा, जिसने नशे के कारोबार की सच्चाई को बेनकाब कर दिया।

छापेमारी में ₹2.01 करोड़ नकद, गांजा और स्मैक के पैकेट ऐसे मिले जैसे किसी मिनी-फैक्ट्री का स्टॉक हो।
और सबसे चौंकाने वाली बात—इस पूरे नेटवर्क को जेल में बैठा सरगना राजेश मिश्रा अपने परिवार के ज़रिए संचालित कर रहा था।

घर नहीं… ‘हाई-प्रोफाइल ड्रग डेन’ निकला

शनिवार की भोर में जब मानिकपुर पुलिस टीम ने मुंदेपुर स्थित मकान पर दबिश दी,
तो घर के अंदर से दरवाज़ा बंद कर छिपने की हलचल सुनाई दी।
जब दरवाज़ा तोड़ा गया, तो सामने का दृश्य देखकर पुलिसकर्मी भी दंग रह गए—
कमरे में काले पन्नियों में पैक किए गांजा-स्मैक के पुड़िये, दीवारों के पीछे छिपाई नकदी, और तस्करी के रजिस्टर मिले।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, “हर कमरे में नकदी या नशा छिपाने की अलग ‘सेफ पॉकेट’ बनाई गई थी।
यह कोई आम घर नहीं, बल्कि एक संगठित नशा गोदाम था।”

बरामदगी जिसने चौंकाया पूरा जिला

बरामदगी मात्रा अनुमानित कीमत
नकदी ₹2,01,55,345/- ₹2.01 करोड़
गांजा 6.075 किलो ₹3,03,750/-
स्मैक (हेरोइन) 577 ग्राम ₹1.15 करोड़
कुल अनुमानित बरामदगी ₹3 करोड़+

👉 यह थाना मानिकपुर के इतिहास की सबसे बड़ी बरामदगी मानी जा रही है।

‘घर संभाल रही थी बीवी, बिजनेस चला रहा था माफिया’

जेल में बंद माफिया राजेश मिश्रा ने तस्करी का पूरा तंत्र अपने परिवार को सौंप रखा था।
पत्नी रीना मिश्रा मुख्य संचालक थी, जो गांव में सप्लाई नेटवर्क को नियंत्रित करती थी।
पुत्र विनायक बैंक लेन-देन और कोडेड कम्युनिकेशन संभालता था,
जबकि कोमल मिश्रा (पुत्री) व रिश्तेदार अजीत व यश मिश्रा डिलीवरी चैन को मैनेज करते थे।

फर्जी जमानत का खेल — अदालत तक पहुंच चुका था अपराध का जाल

पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि राजेश मिश्रा की जमानत एक फर्जी व्यक्ति के नाम से कराई गई थी,
जिसके लिए रीना और विनायक ने जाली दस्तावेज़ तैयार कर अदालत में दाखिल किए थे।
इस पर थाना मानिकपुर में मु.अ.सं. 239/25 के तहत गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।

यह खुलासा दिखाता है कि गिरोह सिर्फ नशे तक सीमित नहीं, बल्कि कानूनी दस्तावेज़ों में भी खेल खेल रहा था।

‘सवा तीन करोड़ की कुर्की’ के बाद भी जारी था कारोबार

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, पहले भी राजेश मिश्रा और रीना मिश्रा की ₹3,06,26,895.50/- की संपत्ति
गैंगेस्टर एक्ट के तहत कुर्क की जा चुकी है।
लेकिन कुर्की के बावजूद गिरोह ने जेल से निर्देश लेकर नशे की सप्लाई फिर से शुरू कर दी थी।

यह दर्शाता है कि अपराधियों ने न्याय व्यवस्था और जेल प्रशासन के बीच की दरारों का फायदा उठाया।

एसपी दीपक भूकर बोले — “अपराध की जड़ें काटने का वक्त आ गया है”

“हमारा लक्ष्य केवल बरामदगी नहीं, बल्कि इस पूरे नेटवर्क को जड़ से खत्म करना है।
जेल में बैठकर जो लोग समाज को जहर बेच रहे हैं, उन्हें किसी भी सूरत में नहीं बख्शा जाएगा।”
दीपक भूकर, पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ़

एसपी भूकर ने प्रभारी निरीक्षक नरेंद्र सिंह व उनकी टीम को ₹25,000 का नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया।

पुलिस टीम जिसने ऑपरेशन को अंजाम दिया

नरेंद्र सिंह (थाना प्रभारी मानिकपुर) के नेतृत्व में बनी टीम में शामिल रहे —
उपनिरीक्षक उमेश प्रताप सिंह, अमरनाथ सिंह, अचिन्त्य शुक्ल, संतोष यादव,
हेड कॉन्स्टेबल अमित सिंह, राकेश कुमार, नरेंद्र यादव, शिवशंकर,
महिला कांस्टेबल दिव्या सिंह, पिंकी यादव, पूजा आदि।
टीम ने बेहद पेशेवर, तेज़ और सटीक कार्रवाई कर गिरोह की कमर तोड़ दी।

विश्लेषण — ‘जेल की दीवारों के भीतर से चलता है अपराध का नेटवर्क!’

यह घटना एक गहरी सच्चाई उजागर करती है —
➡️ जेल केवल सजा की जगह नहीं, बल्कि अपराधियों के “कमांड सेंटर” बनते जा रहे हैं।
➡️ राजेश मिश्रा जैसे अपराधी “परिवार नेटवर्क” के सहारे कानून को चकमा देकर जेल से बाहर कारोबार संचालित कर रहे हैं।
➡️ अब जरूरत है जेल-इंटेलिजेंस सिस्टम को डिजिटल मॉनिटरिंग से जोड़ने की, ताकि ऐसे नेटवर्क का तुरंत पता चल सके।

‘ड्रग्स से डेथ तक’ — एक परिवार की गहरी साजिश

रीना मिश्रा का परिवार, जो समाज की नज़र में एक सामान्य घराना दिखता था,
असल में नशे की डार्क इंडस्ट्री चला रहा था।
इस कारोबार का फैलाव उत्तर प्रदेश से लेकर मध्य प्रदेश तक था —
जहाँ राजेश मिश्रा के खिलाफ कई राज्यों में एनडीपीएस के मुकदमे दर्ज हैं।

हर गिरफ्तार सदस्य अब एक ऐसे तंत्र का हिस्सा साबित हो रहा है,
जो जेल की चारदीवारी से चलने वाली ‘ड्रग इकॉनमी’ का हिस्सा था।

निष्कर्ष — टूटी तस्करी की रीढ़, खुला “जेल से जाल” का राज

मानिकपुर पुलिस की यह कार्रवाई सिर्फ एक छापा नहीं, बल्कि एक सर्जिकल स्ट्राइक थी —
जिसने अपराध, लालच और पारिवारिक गिरोह की कहानी को उजागर किया।

यह बरामदगी केवल 3 करोड़ की नहीं, बल्कि
समाज में फैले नशे के ज़हर पर चोट का प्रतीक है।

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