“शिव सैनिकों ने संभाली गंगा स्नान पर्व की तैयारी की कमान — साफ-सफाई, शौचालय और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी पर जताई चिंता”
“5 नवंबर को अफजलगढ़ बैराज पर उमड़ेगा आस्था का सागर — शिव सेना यूबीटी ने प्रशासन से की समुचित व्यवस्थाओं की मांग”
📍स्थान: अफजलगढ़ रिपोर्ट
आस्था और व्यवस्था का संगम बन रहा है अफजलगढ़ बैराज
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर 5 नवंबर को होने वाले गंगा स्नान पर्व की तैयारियां जोरों पर हैं, लेकिन शिव सेना (यूबीटी) ने व्यवस्थाओं में कई खामियों की ओर ध्यान खींचा है। जिलाध्यक्ष चौ. संजय राणा के नेतृत्व में शिव सैनिकों की टीम ने रामगंगा नदी के स्नान घाट का दौरा कर हालात का जायजा लिया।
निरीक्षण के दौरान पाया गया कि घाट की सफाई अधूरी है और श्रद्धालुओं के लिए बुनियादी सुविधाओं की कमी बनी हुई है।
सिंचाई विभाग पर लापरवाही के आरोप
शिव सैनिकों ने बताया कि सिंचाई विभाग की ओर से अब तक घाट की सफाई और जलस्तर चेतावनी संकेतक लगाने का कार्य नहीं हुआ है। चौ. राणा ने कहा —
“गंगा स्नान पर्व केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है। ऐसे में लापरवाही अस्वीकार्य है।”
मांगें रखीं — स्वच्छता से लेकर सुरक्षा तक
शिव सेना ने जिला प्रशासन के समक्ष निम्न मांगें रखीं:
- स्नान घाटों की समुचित सफाई और जलस्तर चेतावनी संकेतक लगवाए जाएं।
- श्रद्धालुओं के लिए अस्थायी शौचालय और स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था हो।
- महिलाओं के लिए वस्त्र परिवर्तन स्थल (चेंजिंग रूम) उपलब्ध कराए जाएं।
- चिकित्सा दल और एम्बुलेंस की 24 घंटे तैनाती रहे।
- भीड़ प्रबंधन हेतु पर्याप्त पुलिस बल और शांति व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
शिव सैनिकों की टीम रही सक्रिय
इस अवसर पर शिवसेना जिलाध्यक्ष चौ. संजय राणा के साथ
डॉ. सी.पी. सिंह (जिला महासचिव), मनवीर सिंह यादव (जिला कार्यकारिणी सदस्य), सरदार कुलदीप सिंह (तहसील अध्यक्ष), महेंद्र सिंह (ब्लॉक अध्यक्ष), महंत मोहित त्यागी, आदर्श सिंह, दिनेश कुमार, आसिफ, रेहान, राहुल कुमार, विपिन कुमार, साहिल आदि मौजूद रहे।
सभी ने एक स्वर में कहा कि यह पर्व “जन-आस्था का उत्सव” है और इसमें किसी भी प्रकार की कमी नहीं रहनी चाहिए।
विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण — प्रशासनिक तैयारी बनाम जनअपेक्षाएं
रामगंगा तट पर हर वर्ष लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान करने आते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था, श्रद्धा और सांस्कृतिक परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
परंतु हर साल अस्थायी सुविधाओं की कमी, स्वच्छता की उपेक्षा और भीड़ प्रबंधन की अव्यवस्था जैसे मुद्दे सामने आते हैं।
शिव सेना यूबीटी का यह निरीक्षण न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि प्रशासन के लिए भी एक “जन-जागरूकता संदेश” है कि आस्था के इस महापर्व पर सुविधा, सुरक्षा और स्वच्छता सर्वोपरि होनी चाहिए।
निष्कर्ष:
5 नवंबर को जब कार्तिक पूर्णिमा की सुबह पहली किरण के साथ श्रद्धालु रामगंगा में डुबकी लगाएंगे, तो उनकी यही कामना होगी —
“मां गंगा की कृपा से मन, तन और समाज सब पवित्र बने — और व्यवस्थाएं भी उतनी ही निर्मल हों जितनी आस्था।”











