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भाकियू टिकैत ने योगी सरकार के गन्ना मूल्य बढ़ोतरी का किया स्वागत, बोले – ₹400 पार होता तो किसानों की मुस्कान और चौड़ी होती!

भाकियू टिकैत ने योगी सरकार के गन्ना मूल्य बढ़ोतरी का किया स्वागत, बोले – ₹400 पार होता तो किसानों की मुस्कान और चौड़ी होती!

सुनील प्रधान बोले – सरकार का कदम सराहनीय, पर बढ़ती लागत के मुकाबले किसानों को अभी और राहत चाहिए

बिजनौर।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा गन्ना मूल्य में ₹30 प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की घोषणा के बाद प्रदेशभर में किसानों में उत्साह और संतोष का माहौल है।
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के जिला अध्यक्ष सुनील प्रधान ने इस फैसले को किसानों के हित में “सकारात्मक और स्वागतयोग्य कदम” बताया। हालांकि उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि किसानों की अपेक्षाएं इससे अधिक थीं — यदि गन्ने का मूल्य ₹400 के पार होता, तो गन्ना उत्पादक किसानों के चेहरे पर असली मुस्कान लौट आती।

भाकियू टिकैत का रुख: सरकार ने सही दिशा में कदम बढ़ाया, पर मंज़िल अभी दूर

सुनील प्रधान ने कहा कि योगी सरकार लगातार किसानों के हित में कार्य कर रही है। बीते कुछ वर्षों में गन्ना मूल्य में क्रमिक वृद्धि से किसानों को लाभ हुआ है, लेकिन खेती की लागत में भी अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है।
उन्होंने कहा,

“डीजल, खाद, बीज और मजदूरी सब महंगे हो चुके हैं। ऐसे में ₹30 की बढ़ोतरी स्वागतयोग्य जरूर है, पर गन्ने का मूल्य अगर ₹400 पार होता तो किसानों की मेहनत का सही मूल्य मिलता।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि किसानों को समय से भुगतान मिलना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना गन्ना मूल्य बढ़ना। “मिलों द्वारा भुगतान में देरी किसानों को सबसे अधिक परेशान करती है,” उन्होंने कहा।

गन्ना मूल्य बढ़ोतरी के आंकड़ों में समझिए किसान की राहत

  • पिछले सीज़न की तुलना में ₹30 प्रति क्विंटल की वृद्धि।
  • औसतन एक किसान को प्रति हेक्टेयर 60 से 70 हजार रुपए तक अतिरिक्त लाभ की संभावना।
  • चीनी मिलों पर भुगतान का दबाव बढ़ेगा, लेकिन ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नकदी प्रवाह भी बढ़ेगा।
  • पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 28 ज़िलों के लगभग 45 लाख गन्ना उत्पादकों को लाभ मिलेगा।

किसानों की ज़मीन से आवाज़:

गन्ना उत्पादक किसान देवेंद्र चौहान का कहना है,

“सरकार ने अच्छा किया, पर खेती में जो खर्च बढ़ा है, उसकी भरपाई अभी नहीं हो पाई। गन्ना अगर ₹410-₹420 तक पहुंचता, तो ही असली राहत मिलती।”

वहीं महिला किसान सुनीता देवी ने कहा,

“गन्ना किसान हर बार उम्मीद करता है कि सरकार हमारी लागत और मेहनत को ध्यान में रखे। ₹30 की बढ़ोतरी ठीक है, पर खेत का हिसाब इससे नहीं चुकता।”

राजनीतिक और आर्थिक मायने भी गहरे हैं:

गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी सिर्फ आर्थिक फैसला नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी अहम है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में गन्ना किसान हमेशा निर्णायक भूमिका में रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला किसानों के बीच सरकार की छवि को मजबूत करेगा, परन्तु यदि भविष्य में गन्ना मूल्य ₹400 पार नहीं गया, तो किसान संगठनों के आंदोलन की आहट फिर से सुनाई दे सकती है।

विश्लेषण: किसानों की उम्मीदें अभी बाकी हैं

सरकार का निर्णय किसानों के हित में है, यह बात तय है।
लेकिन खेती की वास्तविक लागत — डीजल, बिजली, खाद, बीज और मजदूरी में हुई बढ़ोतरी — को देखते हुए किसान यह मान रहे हैं कि अभी भी उन्हें पूरी राहत नहीं मिली है।
भाकियू टिकैत की मांग है कि सरकार भविष्य में ‘किसान हित केंद्रित लागत और लाभ नीति’ तैयार करे, ताकि हर फसल का मूल्य उसकी वास्तविक लागत के अनुरूप तय किया जा सके।

✍️ निष्कर्ष:

योगी सरकार ने गन्ना किसानों को राहत देने का एक कदम जरूर बढ़ाया है,
पर यह राहत किसानों की “उम्मीद की मिठास” को पूरी तरह नहीं घोल पाई है।
भाकियू टिकैत ने सरकार की सराहना की है, पर साथ ही यह स्पष्ट संदेश भी दिया है कि
किसान की आर्थिक आज़ादी तब तक अधूरी रहेगी, जब तक उसकी फसल का मूल्य उसकी मेहनत के बराबर नहीं होगा।

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